West Bengal: देश में आक्रामक वामपंथी श्रमिक आंदोलन की जरुरत इसलिए पड़ी
केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी नीतियों तथा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ विभिन्न मुद्दों को लेकर आक्रामक आंदोलन एकमात्र विकल्प है।
West Bengal: देश में आक्रामक वामपंथी श्रमिक आंदोलन की जरुरत इसलिए पड़ी
कोलकाता.
केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी नीतियों तथा पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ विभिन्न मुद्दों को लेकर आक्रामक आंदोलन एकमात्र विकल्प है। केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि.एयर इंडिया सहित कई लाभजनक संस्थानों में विनिवेश को बढ़ावा दे रही है। वामपंथी श्रमिक संगठन सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तथा पूर्व सांसद तपन सेन ने बुधवार को धर्मतल्ला में श्रमिकों की सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार सदन में अपने बहुमत की संख्या के बल पर जनविरोधी व संविधान विरोधी विधेयकों को पारित कर रही है वहीं दूसरी ओर, बंगाल में ममता बनर्जी सरकार अपने संख्या बल पर लोकतंत्र का गला घोंट रही हैं। दोनों सरकारों के खिलाफ अब आक्रामक श्रमिक आंदोलन के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है। तृणमूल कांग्रेस सरकार हर मुद्दे पर परोक्ष रूप से केंद्र सरकार को ही मदद कर रही है। उल्लेखनीय है कि विनिवेश, छंटनी, किसानों के कर्ज माफ करने जैसे मांगों को लेकर सीटू के नेतृत्व में 12 अन्य श्रमिक संगठनों के आह्वान पर श्रमिकों का समूह (लांग मार्च) 30 नवम्बर को चित्तरंजन से चलकर बुधवार को कोलकाता पहुंचा।
8 जनवरी की आम हड़ताल को सफल बनाने की अपील:
ेवामपंथी श्रमिक नेता सेन ने कहा कि संख्या बल पर विनिवेश का निर्णय लेने के बावजूद हम सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों को किसी दूसरे के हाथों बेचने नहीं देंगे। सभा में उपस्थित श्रमिक समूह को उन्होंने संबंधित इकाईयों (कारखानों) के समक्ष जन प्रतिरोध करने का आह्वान किया। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों को बचाने, न्यूनतम वेतन की गारंटी, नया उद्योग लगाने, किसानों को उनके फसलों को उचित मूल्य देने तथा एनआरसी और नागरिकता संशोधन बिल (कैब) के खिलाफ 8 जनवरी 2020 को देश व्यापी आम हड़ताल में श्रमिकों को बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील की है। उनके अनुसार श्रमिकों को बचने का एक ही रास्ता आंदोलन ही है। देश में बेरोजगारी, महंगाई आसमान छू रही है। धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार में समाज को बांटा जा रहा है। हम एनआरसी और कैब को लेकर लगातार आंदोलन चलाएंगे। उक्त आंदोलन में समान विचार वाले दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास हो रहा है।
श्रम कानून बदलने की साजिश:
पूर्व सांसद सेन ने कहा कि केंद्र सरकार देश के श्रम कानून भी बदलने का ताना बाना बुन रही है। केंद्र सरकार श्रमिकों के आंदोलन करने का हक छीनने जा रही है। श्रमिकों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती अपने अधिकारों का संरक्षण करना है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को बुला कर सरकार राष्ट्रीय संस्थानों का अस्तित्व समाप्त कर रही है। सरकार पूंजीपतियों का कर माफ कर रही है पर किसानों को कर्ज माफ करने से अपना हाथ खींच ली है। देश का आर्थिक विकास सतह पर आ गया है। देश पर मंदी का संकट मंडराने का मुख्य कारण भाजपा और आरएसएस की नीतियां ही हैं। जो देश को तबाही की ओर ले जा रहा है।
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