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अस्पताल की लापरवाही, महिला मरीज ने गवाएं हाथ

locationकोलकाताPublished: Jan 25, 2020 06:41:30 pm

Submitted by:

Renu Singh

– मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर आरोप
– निमोनिया से हो गया था संक्रमण-परिजनों ने मुख्यमंत्री से न्याय के लिए लगाई गुहार

अस्पताल की लापरवाही, महिला मरीज ने गवाएं हाथ

अस्पताल की लापरवाही, महिला मरीज ने गवाएं हाथ

कोलकाता

चिकित्सा में लापरवाही के कारण निमोनिया से पीडि़त महिला सुष्मिता मंडल ने अपना हाथ गंवा दिया। मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा में लापरवाही का यह आरोप सामने आया है। इस घटना को लेकर महिला के परिजनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मदद की गुहार लगाई है। मुर्शिदाबाद के रेजीनगर निवासी सुष्मिता मंडल ने कहा कि वे 5 जनवरी से निमोनिया से पीडि़त थी। पहले परिजन उसे मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज ले गए। परिजनों का आरोप है कि सारी जांच के दो दिन बाद उसक ा इलाज शुरू किया गया। पहले दाएं हाथ में सलाइन लगाई गई थी। सुष्मिता ने कहा कि सलाइन लगाने के बाद से ही उसके हाथ में पीड़ा शुरू हो गई। डॉक्टरों से लगातार दर्द की शिकायत के बाद भी उस पर डॉक्टरों ने कोई ध्यान नहीं दिया। जब सुष्मिता का हाथ बुरी तरह फूल गया तो डॉक्टरों ने सलाइन बाएं हाथ में लगा दी। इसके साथ ही परिवार को सूचित किया गया कि निमोनिया का संक्रमण उसके दाएं हाथ में फैल गया था, इसलिए उसके दाहिने को काटना पड़ेगा, इतना सुनने के बाद 10 जनवरी को परिजन सुष्मिता को एसएसकेएम अस्पताल लेकर पहुंचे। एसएसकेएम में भर्ती कराया गया था, लेकिन दो सर्जरी के बाद भी सुष्मिता की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। बाद में एसएसकेएम में ऑपरेशन से सुष्मिता का हाथ काटना पड़ा। इस घटना को लेकर परिजनों ने मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज पर चिकित्सा में लापरवाही का आरोप लगाया है। सुष्मिता के परिजनों ने आरोपी डॉक्टरों को सजा देने की मांग की। परिजनों का कहना है कि वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास इस मामले पर न्याय की गुहार लगाएंगे। इसके साथ ही राज्य के स्वास्थ विभाग में भी डॉक्टरों की शिकायत करेंगे।
जिलों के अस्पतालों पर लगातार लग रहे लापरवाही के आरोप

मालूम हो कि पश्चिम बंगाल के जिलों के सरकारी अस्पतालों में लगातार चिकित्सा में लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं। लोगों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन किसी भी घटना पर कोई कार्रवाई नहीं करता है। एक-एक कर कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन अस्पताल वैसे ही चल रहें है। न ही सरकार डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई करती है, न ही अस्पताल प्रबंधन। हर दिन मरीजों को ऐसी घटनाओं से दो चार होना पड़ रहा है।
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