चंद्रकुमार- बिल्कुल। सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय नेता थे। गांधी और बोस दोनों का योगदान आजादी की लड़ाई में बराबर है। गांधी ने अहिंसा का रास्ता चुना तो बोस ने सशस्त्र आंदोलन किया। वे मांग करते हैं कि सुभाष चंद्र बोस या आजाद हिंद फौज का मेमोरियल लाल किले के सामने होना चाहिए। इसकी मजबूत वजह है। याद होगा कि वर्ष 1946 में आजाद हिंद फौज के जवानों का वॅार क्रिमिनल कह कर लाल किले में ट्रायल किया गया था। धूलाभाई देसाई ने आजाद फौज की पैरवी की, उन्होंने वार ट्रिब्यूनल के सामने तर्क दिया कि आईएनए भारत की स्वाधीन सरकार है। इसी ने भारत की आजादी की घोषणा की थी। इसलिए फौज से जुुड़े हुए लोग वार क्रिमिनल नहीं वॉर हीरो हैं। उनके इस तर्क से पूरा मामला ही धराशाई हो गया।
4. नेताजी की शख्शियत की ऐसी कौन से बातें हैं जो इस पीढ़ी के लिए प्रेरकहैं।
चंद्रकुमार- नेताजी का पूरा जीवन मिसाल है। उनकी सांगठनिक क्षमता, सबको साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, नारी समाज का सम्मान, सांप्रदायिक सौहाद्र्र का संदेश सब कुछ जीवन में उतारा जा सकता है।