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Politic on Netaji Subhash Chandra Bose:कभी चुनावी और भावनात्मक मुद्दा नहीं बने नेताजी

locationकोलकाताPublished: Jan 25, 2021 02:30:45 pm

Submitted by:

Manoj Singh

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सबसे अधिक श्रद्धांजलि और सम्मान देने की होड़ मची है। लेकिन नेताजी के प्रपौत्र और नेताजी पर लिखी गई किताब ‘लेड टू रेस्ट’के लेखक आशिष रे नेताजी के कभी बंगाल के भावनात्मक और चुनावी मुद्दा नहीं बनने का दावा किया।

Politic on Netaji Subhash Chandra Bose:कभी चुनावी और भावनात्मक मुद्दा नहीं बने नेताजी

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स्वतंत्रता संग्राम के महानायक सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र आशीष रे बोले
कोलकाता
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सबसे अधिक श्रद्धांजलि और सम्मान देने की होड़ मची है। लेकिन नेताजी के प्रपौत्र और नेताजी पर लिखी गई किताब ‘लेड टू रेस्ट’के लेखक आशिष रे नेताजी के कभी बंगाल के भावनात्मक और चुनावी मुद्दा नहीं बनने का दावा किया। आशिष रे ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि सुभाष चंद्र बोस अतीत में पश्चिम बंगाल में हुए चुनावों में कभी भावनात्मक मुद्दा रहे हैं। कांग्रेस, वाम मोर्चा और तृणमूल कांग्रेस, जो आजादी के बाद से राज्य की सरकार में रही हैं, नेताजी के नाम पर कभी नहीं जीती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीतिक दल सुभाष बोस को श्रद्धांजलि देने के लिए एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं।
– नेताजी की विचारधारा से अलग भाजपा
आशीष रे ने कहा कि बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति बोस की विचारधारा से बहुत अलग है। बोस का हमेशा हिंदू महासभा के साथ टकराव होता रहा, इसे नहीं भूलना चाहिए और उसी हिंदू महासभा से निकला जनसंघ आज बीजेपी है। उन्‍होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सुभाष चंद्र बोस से संबंधित फाइलों को डीक्लासिफाइड कर दिया। फाइलों में तथ्यों की पुष्टि की गई थी। मोदी सरकार की तरफ से आरटीआई के जवाब में यह बात कही गई है। जापान सरकार अनुरोध का इंतजार कर रही है। तब, भारत सरकार को अस्थियों को भारत लाने से क्या रोक रही है? ऐसा लगता है कि भारतीय जनता को मूर्ख बनाना राजनीतिक लाभ का अंश बन चुका है।

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