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बुनियादी सुविधाओं की कमी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की राह में रोड़ा

locationकोलकाताPublished: Oct 29, 2020 10:39:58 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

एक ओर जहां केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के माध्यम से देश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था और उच्च शिक्षा व्यवस्था को एक स्तर पर जोडऩे का प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर कई राज्य सरकारें इसका विरोध कर रही हैं। शिक्षाविदों का कहना है कि बुनियादी सुविधाओं की कमी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की राह में रोड़ा है।

बुनियादी सुविधाओं की कमी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की राह में रोड़ा

बुनियादी सुविधाओं की कमी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की राह में रोड़ा

बंगाल में 80 हजार समेत पूरे देश में करीब 10 लाख शिक्षकों के पद खाली
रेनू सिंह
कोलकाता. एक ओर जहां केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के माध्यम से देश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था और उच्च शिक्षा व्यवस्था को एक स्तर पर जोडऩे का प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर कई राज्य सरकारें इसका विरोध कर रही हैं। शिक्षाविदों का कहना है कि बुनियादी सुविधाओं की कमी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की राह में रोड़ा है। इसके बिना नई शिक्षा नीति को अमली जामा पहनाना बहुत ही दुष्कर है। इसके लिए पूर्ण रूप से हमें नई व्यवस्था लानी होगी। देश में करीब 10 लाख तथा पश्चिम बंगाल में 80 हजार शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी। इसके अलावा मूलभूत सुविधाएं बढ़ानी होंगी? नई शिक्षा नीति के लिए नियुक्ति बड़ी चुनौती है।
बंगाल के स्कूलों में नियुक्ति विवाद कब से चल रहा है। सरकारी टीचर बनने की चाह में लाखों लोग सोशल मीडियातक गुहार लगा रहे हैं। अखबारों, चैनलों से लेकर अब सोशल मीडिया ही एक सहारा बचा है। इन लोगों का इंतजार लंबा खींचता जा रहा है। इन अभ्यर्थियों को अभी भी नियुक्ति की आस है।

अटकी है 14000 शिक्षकों की नियुक्ति
बंगाल में पिछल 4 सालों से 14,000 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया थमी है। इसे लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में 100 से अधिक मामले लंबित हैं। वर्ष 2016 में हुई टीईटी परीक्षा में 10 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन मेरिट लिस्ट को लेकर ऐसा विवाद शुरू हुआ कि अभी तक मामलों की निष्पत्ति नहीं हो पाई।

शिक्षकों की भर्ती की राह आसान नहीं
शिक्षक संगठन बंगाल सेकंडरी शिक्षक के सचिव विश्वजीत मित्रा ने कहा कि केन्द्र सरकार के कहने के बाद राज्य सरकार कितना क्या लागू करती है यह बताना मुश्किल है। रही बात शिक्षक नियुक्ति की तो पहले ही इतने मामले हैं इस स्थिति में नई नीति को लागू करना मुश्किल लग रहा है।

नहीं है हमारे पास मूलभूत ढाँचा
पश्चिम बंगाल पाश्र्व शिक्षक व शिक्षाकर्मी समिति के सचिव स्वपन मंडल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने लिए हमारे पास मूलभूत ढांचा नहीं है। पहले तो न्यूनतम 80,000 शिक्षकों की नियुक्ति करनी पड़ेगी। अगर पूर्ण नियमानुसार जाएं तो हमें कुल 3.20 लाख शिक्षकों की नियुक्ति करनी पड़ेगी। अगर वर्तमान स्थिति से देखे तो इसके लिए हमें राज्य में 20,000 स्कूल स्थापित करने होंगे।

राज्यों को भरने होंगे इतने पद
बिहार –2.75 लाख
उत्तर प्रदेश–2.17 लाख
झारखंड –95 हजार
मध्य प्रदेश–91 हजार
बंगाल- -80 हजार
राजस्थान- 47 हजार
छत्तीसगढ़- 51 हजार
आंध्र प्रदेश- 34 हजार
उत्तराखंड- 18 हजार

एक नजर में बंगाल की शिक्षा व्यवस्था
कक्षा 1 से 12वीं तक के कुल स्कूल- 80,000
कुल विद्यार्थी- 1 करोड़ 40 लाख

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