उद्ययोगपतियो से प्रो. देवनानी ने कहा कि पांच साल पहले प्रदेश में जब भाजपा सरकार बनी तब शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान का 26 वां स्थान था। हमारी सरकार ने शिक्षा को संस्कृति और भावनाओं से जोड़ कर राज्य के स्कूलो का माहौल बदल दिया है। टेक्नोलॉजी, पारदर्शिता और ज्ञान के ट्रान्सफोर्मेशन के मूल मंत्र के जरिए राज्य सरकार ने चार साल के अथक प्रयास के बाद राज्य की शिक्षा व्यवस्था का काफी विकास किया है। अब शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर है। हम राजस्थान को देश में पहले स्थान पर ले जाने और विश्व प्रतिस्पर्धा के स्तर पर ले जाने चाहते हैं। हमारी सरकार राज्य के 64 हजार सरकारी स्कूलों में 84 लाख छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता शिक्षा मुहैया करा रही है। इतना करने के बावजूद राजस्थान में और भी संसाधनों की जरूरत है। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए कोलकाता में रह रहे राजस्थानी राजस्थान सरकार को अनुदान दें। उन्होंने कहा कि देश भर में जहां सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या घट रही है, वहीं राजस्थान के सरकारी स्कूलों में 12 से 13 लाख छात्र-छात्राओं के दाखिलों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भामाशाह बनें, बच्चों में खर्च करें, राजस्थान के अपने गांव, पास तथा शहर के स्कूल को गोद लें ताकि हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा से कदमताल मिला सके। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे करने वाले को विभिन्न पुरस्कारों से नवाजेगी। उन्होंने बताया कि किसी स्कूल की आय का ५१ से अधिक निवेश करने वालों के नाम पर स्कूल का नामकरण भी किया जा सकता है।
ओसवाल भवन में आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता उद्योगपति व समाजसेवी प्रदीप चोपड़ा ने की। उन्होंने लोगों से शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने की अपील करते हुए कहा कि एक व्यक्ति को शिक्षित करना लाखों रुपए निवेश करने के समान है। विशिष्ट अतिथि के रूप में राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव (स्कूल शिक्षा) नरेश पाल गंगवार ने कहा कि यह शुरुआत है। कार्यक्रम के आयोजन में परिषद के अध्यक्ष शार्दूल सिंह जैन, महामंत्री अरुण प्रकाश मल्लावत, अर्थ मंत्री रुगलाल सुराणा, आयोजन मंत्री बंशीधर शर्मा सहित संयोजकगण नन्दलाल शाह, मोहनलाल पारीक, परशुराम मूंधड़ा सक्रिय रहे। मंत्री देवनानी राजस्थानी उद्योगपतियों से शनिवार को मिलेंगे तथा उनसे राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में मदद करने की अपील करेंगे।