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कोलकाता

अब मनोज वर्मा के समक्ष अशांत कोलकाता महानगर से निपटने की चुनौती

कोलकाता के नए पुलिस आयुक्त मनोज कुमार वर्मा अपने चुनौतीपूर्ण कार्यों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे। पश्चिम बंगाल सरकार को जब भी दक्ष पुलिस अधिकारी की विकट परिस्थिति में जरूरत पड़ी, वर्मा को ही हर मोर्चे पर तैनात किया। जंगलमहल, दार्जिलिंग और उत्तर चौबीस परगना जिले के बैरकपुर में शांति लाने में वर्मा ने प्रमुख भूमिका निभाई है। अब एक और बड़ी चुनौती उन्हें राज्य सरकार की ओर से मिली है। कोलकाता जैसे प्रमुख महानगर की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई है। यह जिम्मेवारी उस वक्त उन्हें मिली जब आरजी कर रेप-मर्डर कांड के कारण पिछले 41 दिन से महानगर अशांत बना हुआ है

कोलकाताSep 20, 2024 / 03:41 pm

Rabindra Rai

अब मनोज वर्मा के समक्ष अशांत कोलकाता महानगर से निपटने की चुनौती

अब मनोज वर्मा के समक्ष अशांत कोलकाता महानगर से निपटने की चुनौती

कुशल प्रशासनिक क्षमता के सहारे जंगलमहल, दार्जिलिंग और बैरकपुर में लाई थी शांति

कोलकाता के नए पुलिस आयुक्त मनोज कुमार वर्मा अपने चुनौतीपूर्ण कार्यों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे। पश्चिम बंगाल सरकार को जब भी दक्ष पुलिस अधिकारी की विकट परिस्थिति में जरूरत पड़ी, वर्मा को ही हर मोर्चे पर तैनात किया। जंगलमहल, दार्जिलिंग और उत्तर चौबीस परगना जिले के बैरकपुर में शांति लाने में वर्मा ने प्रमुख भूमिका निभाई है। अब एक और बड़ी चुनौती उन्हें राज्य सरकार की ओर से मिली है। कोलकाता जैसे प्रमुख महानगर की जिम्मेवारी उन्हें सौंपी गई है। यह जिम्मेवारी उस वक्त उन्हें मिली जब आरजी कर रेप-मर्डर कांड के कारण पिछले 41 दिन से महानगर अशांत बना हुआ है। आए दिन रैली, जुलूस, धरने हो रहे हैं। जूनियर डॉक्टरों के अलावा राजनीतिक पार्टियां भाजपा, माकपा और कांग्रेस रोज सडक़ पर उतर रही हैं। इस वजह से आपराधिक गतिविधियों से ज्यादा महानगर की ट्रैफिक व्यवस्था को संभालना प्रमुख हो गया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल में ही टिप्पणी की थी कि पुलिस इजाजत के बिना ही लोग प्रदर्शन करने सडक़ पर उतर जाते हैं। पुलिस पर भी हमला हो रहा है। नवान्न अभियान, लालबाजार अभियान, स्वास्थ्य भवन का घेराव आदि कई कार्यक्रम पुलिस इजाजत के बिना ही हुए।

नजर दक्ष आइपीएस अधिकारी पर

अब सभी लोगों की नजर इस दक्ष आईपीएस अधिकारी पर टिकी है कि वे किस तरह कोलकाता के इस बिगड़े माहौल को संभालेंगे और सामान्य करने का प्रयास करेंगे। हालांकि मनोज वर्मा की नियुक्ति रूटिन तबादले के तहत नहीं हुई है। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांग थी कि आरजी कर रेप-मर्डर में ठीक से अपनी जिम्मेवारी नहीं निभाने वाले तत्कालीन पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को हटाया जाए। उनकी मांग पर ही मुख्यमंत्री ममता ने विनीत को हटाया और मनोज वर्मा को कोलकाता पुलिस की बागडोर सौंपी।

वाममोर्चा सरकार के भी थे पसंदीदा अधिकारी

लोग बताते हैं कि मनोज वर्मा प्रशासनिक दक्षता और साहसिक प्रवृत्ति के कारण वाममोर्चा सरकार के भी चहते अधिकारियों में से एक थे। जब जंगलमहल अशांत था तब वाममोर्चा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने मनोज वर्मा पर अति भरोसा करते हुए उन्हें पश्चिम मेदिनीपुर जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया था। उस समय पूरे जंगल महल में माओवादियों की गतिविधियां चरम पर थीं। मनोज ने उस गतिविधि को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। ममता सरकार के दौरान माओवादी नेता किशनजी से मुठभेड़ के दौरान उन्होंने काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स की जिम्मेदारी भी संभाली थी। इसके बाद डीआइजी पद पर पदोन्नत होने के बाद वे सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट में चले गए। वे 2017 में दार्जिलिंग के आईजी बने। मनोज ने पहाड़ में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के आंदोलन को भी काफी कुशलता से संभाला। 2019 में उनको ममता सरकार ने अशांत बैरकपुर का पुलिस कमिश्नर बनाया। तब भाटपाड़ा और कांकीनाड़ा में अक्सर बम विस्फोट होते थे। फायरिंग होती थी। जिसको मनोज वर्मा ने शांत किया।

मुख्यमंत्री सुरक्षा की भी संभाली जिम्मेवारी

जंगल, पहाड़, शिल्पांचल से होते हुए मनोज वर्मा फिर नवान्न पहुंचे। राज्य सचिवालय नवान्न पहुंचने पर उनको अति महत्वपूर्ण काम में लगाया गया। उनको मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सुरक्षा की जिम्मेवारी सौंपी गई। यहीं से वे ममता की गुड लिस्ट में शामिल हो गए। इसके बाद उनको बंगाल पुलिस की कानून-व्यवस्था की जिम्मेवारी देते हुए उनको आईजी लॉ एंड ऑर्डर बनाया गया। अब वे कोलकाता के पुलिस आयुक्त हैं।

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