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चिडिय़ाघर में पशुओं को गोद लेने वालों की संख्या घटी

locationकोलकाताPublished: Jan 27, 2021 11:13:23 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

कोलकाता के मशहूर अलीपुर चिडिय़ाघर में पशु गोद योजना पर ग्रहण सा लग गया है। कई पशु-पक्षियों को गोद लेने वाला नहीं मिल पा रहा है। इस योजना की शुरुआत 2013 में हुई थी। अलीपुर चिडिय़ाघर में सबसे महंगे बंगाल टाइगर, एशियन हाथी, एशियाई शेर हैं जिन्हें गोद लेने के लिए 2-2 लाख रुपए फीस देनी पड़ती है जबकि 1-1 लाख रुपए फीस देकर जिराफ, जेब्रा, दरियाई घोड़ा, गेंडा व तेंदुआ को गोद लिया जा सकता है।

चिडिय़ाघर में पशुओं को गोद लेने वालों की संख्या घटी

चिडिय़ाघर में पशुओं को गोद लेने वालों की संख्या घटी

उदासीनता: 2013 में शुरू हुई थी एनिमल अडॉप्शन स्कीम
योजना के कमजोर पडऩे से राजस्व भी कम अर्जित
कोलकाता.
कोलकाता के मशहूर अलीपुर चिडिय़ाघर में पशु गोद योजना पर ग्रहण सा लग गया है। कई पशु-पक्षियों को गोद लेने वाला नहीं मिल पा रहा है। इस योजना की शुरुआत 2013 में हुई थी। अलीपुर चिडिय़ाघर में सबसे महंगे बंगाल टाइगर, एशियन हाथी, एशियाई शेर हैं जिन्हें गोद लेने के लिए 2-2 लाख रुपए फीस देनी पड़ती है जबकि 1-1 लाख रुपए फीस देकर जिराफ, जेब्रा, दरियाई घोड़ा, गेंडा व तेंदुआ को गोद लिया जा सकता है। पूर्व में कई सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से जानवरों को गोद लिया गया है, लेकिन और संस्थाएं आगे नहीं आई। हाल ही में बाबू के नाम से मशहूर चिंपैंजी को थिएटर कलाकार सोहिनी सेनगुप्ता और सप्तर्षि माणिक ने गोद लिया है। साथ ही उन्होंने इस योजना का हिस्सा बनने की अपील की।

एक वर्ष के लिए होता है अनुबंध
योजना के तहत किसी भी जानवर को एक वर्ष के लिए गोद दिया जाता है। अगर कोई व्यक्ति अपने इस अनुबंध को बढ़ाना चाहे तो बढ़ा भी सकता है। अलग-अलग जानवर के लिए प्रतिवर्ष यह रकम दस हजार रुपए से 2 लाख रुपए तक निर्धारित है। इस योजना से 2015-16 में राजस्व बढ़कर 31.65 लाख रुपए हो गया, लेकिन 2017-18 में मात्र पांच ही जानवर अपनाए गए जिससे राजस्व 11.75 लाख रुपए तक गिर गया। 2018-19 में 29 जानवरों को गोद लेने से 16.80 लाख रुपए का राजस्व अर्जित हुआा। वहीं 2019-20 में केवल 5 पशु ही गोद लिए गए। इससे राजस्व 2.15 लाख तक कम हो गया।

गोद लेने के बाद ऐसे करते हैं मदद
गोद लेने के बाद पशु को भोजन, चिकित्सा देखभाल व अन्य सामान आपूर्ति के साथ ही बाड़ों के रखरखाव में मदद करनी पड़ती है। चिडिय़ाघर प्रशासन की ओर से अडॉप्शन कार्ड के साथ प्रमाण पत्र तथा सम्मानसूचक चिडिय़ाघर प्रवेश पास दिया जाता है। गोद लेने वाला प्रकाशन के लिए जानवरों की तस्वीर के उपयोग की अनुमति भी दी जाती है। नियमों के साथ चिडिय़ाघर परिसर में प्रायोजकों के जन्मदिन मनाने का अवसर भी दिया जाता है। इसके साथ ही चिडिय़ाघर प्रशासन की ओर से होने वाले समारोह व सेमिनार में भी उनको आमंत्रित किया जाता है। बाड़े के पास जानवरों के बोर्ड पर संस्था/व्यक्ति के नाम और लोगो का प्रकाशन किया जाता है।

इनका कहना है
उम्मीद है कि कोविड-19 महामारी के बाद अधिक से अधिक पशु गोद लिए जाएंगे। चिडिय़ाघर में बहुत से स्टार आकर्षक पशु-पक्षी हैं जिन्हें अपनाना चाहिए। इसके लिए अपील भी की जा रही है।
असीस सामंता, निदेशक, अलीपुर जूलॉजिकल गार्डन

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