पूर्व बचाव अभियान को चलाया
मौसम विभाग के गंभीर प्राकृतिक आपदा के अलर्ट को राज्य सरकारों ने गंभीरता से लिया। दोनों राज्य सरकारों ने पूर्व बचाव अभियान को चलाया। जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक निवारक और आपातकालीन उपाय किए। भयंकर चक्रवाती तूफान के दौरान लोगों की सुरक्षा और सहायता के लिए ओडिशा में 19 राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), 51 ओडिशा आपदा त्वरित कार्रवाई बल (ओडीआरएएफ) और 220 अग्निशमन सेवा टीमों को राहत एवं बचाव कार्य में लगाया गया। संवेदनशील इलाकों में माइक के जरिए लोगों को सतर्क किया गया। संभावित नुकसान की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास किए गए। संवेदनशील क्षेत्रों के नागरिकों को सुरक्षित दायरे में लाया। इससे नागरिकों के जान-माल की सुरक्षा हुई।व्यापक तैयारियां की, आश्रय केंद्र बनाए
ओडिशा में तूफान से निपटने के लिए व्यापक तैयारियां की गई। राज्य में 5,209 आश्रय केंद्र बनाए गए। हालांकि केंद्रपाड़ा जिले में स्थापित एक आश्रय स्थल में एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। अधिकारियों नेे बताया कि मरने वाली महिला की पहचान हेमलता नायक (82) के तौर पर की गयी है। वह जिले के बंकुआल गांव की रहने वाली थी। इधर पश्चिम बंगाल में ऐहतियाती कदम उठाते हुए स्कूलों को बंद कर दिया गया, 400 से अधिक रेलगाडिय़ों को रद्द कर दिया और उड़ानों को निलंबित कर दिया। इससे पहले गत मई में पश्चिम बंगाल में चक्रवात रेमल से 6 लोगों की मौत हो गई थी और 29 हजार से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए थे। इस बार तमाम और जरूरी उपाय के जरिए चक्रवात से संभावित नुकसान पर काबू पाया गया।कपिल मुनि मंदिर परिसर जलमग्न
पूर्व मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना के तटीय जिलों में तूफान का सबसे बुरा असर देखने को मिला। जिला प्रशासन के शुरुआती अनुमानों से पता चला है कि दक्षिण 24 परगना में समुद्री पानी की वजह से मिट्टी के तटबंध टूट गए हैं। प्रशासन के शुरुआती अनुमानों से पता चला है कि तूफान के दौरान पूरे जिले में लगभग 300 कच्चे घर क्षतिग्रस्त हो गए और बिजली के लगभग 50 खंभे उखड़ गए।गंगासागर में कपिल मुनि मंदिर परिसर समुद्र के पानी से जलमग्न हो गया। सागर द्वीप में कई पेड़ उखड़ गए और उच्च ज्वार के कारण जल स्तर एक मीटर तक बढ़ जाने से निचले इलाकों में बाढ़ आ गई।