सियालदह से सटे बैठकखाना बाजार में रविवार की देर रात बारिश के दौरान पुराना मकान ढह गया। मलबे में दब कर दो जनों की मौत हो गई। दो जने गंभीर रूप से घायल हैं। उन्हें इलाज के लिए एन.आर.एस. अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मृतकों की पहचान गोपाल नस्कर (60) और मानिक दास (48) के रूप में हुई है। घायलों की पहचान रतन जाना और विनेद साव के रुप में हुई है। जिस वक्त मकान गिरा उस समय चारों अंदर सोए हुए थे। कोलकाता नगर निगम व कोलकाता पुलिस की आपदा प्रबंधन की टीम मलबा हटाने का काम कर रही है। उक्त मकान लम्बे समय से जर्जर हालत में था। कोलकाता नगर निगम की ओर से बहुत पहले ही इस इमारत को जर्जर घोषित कर दिया था। संकरे बाजार स्थित उक्त इमारत में कई दुकानें थीं। मालिक और दुकानदार मरम्मत को टाल रहे थे। आसपास की इमारत भी जर्जर हालत में हैं। निगम के कर्मचारियों का कहना है कि आसपास के मकान भी जर्जर हालत में हैं, इसलिए सतर्कता के साथ मकान तोडऩे का काम किया जा रहा है। सियालह स्टेशन से सटा बैठकखाना बाजार भीड़भाड़ वाला बाजार है। बाजार में थोक व खुदरा दुकानें बड़ी संख्या में हैं। अगर यह हादसा दिन में होता तो कई लोगों की जान चली जाती।
तीन बार भेजा गया नोटिस : मेयर सियालदह के वार्ड नम्बर 49 अंतर्गत बैठकखाना बाजार में हुए हादसे के बाद कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी ने बताया कि निगम ने जर्जर मकान की मरम्मत के लिए उसके मालिक को तीन- तीन बार नोटिस भेजा था। स्थानीय पार्षद व बोरो ५ के चेयरमेन ने माईक से घोषणा कर लोगों को सचेत किया था। इसके बावजूद अगर लोग ऐसे जर्जर मकानों में रहते हैं तो इसके लिए वे खुद और उनकी लापरवाही जिम्मेदार है।
उन्होंने बताया कि बिल्डिंग विभाग के कानून 412 ए के अंतर्गत भी इस मकान के मालिक या किराएदारों का कोई प्रस्ताव निगम को नहीं मिला है। मेयर ने कहा कि धराशाई हुए मकान के मालिक के खिलाफ निगम कानूनी कार्रवाई करेगा। मामले की जांच भी होगी।
वाम ने निगम को निशाने पर लिया:- वाममोर्चा पार्षद रतना राय मजूमदार ने दुर्घटना के लिए निगम को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि दुर्घटना निगम की लापरवाही और निगरापी की कमी की वजह से घटी है। साथ ही उन्होंने निगम के कानूनों में जटिलता और विभिन्न विभागों के बीच तालमेल में कमी को भी कारण बताया है।
पुर्नवास की व्यवस्था ना होने के कारण समस्या:- महानगर में जर्जर मकानों की मरम्मत ना होने का सबसे प्रमुख कारण किराएदार हैं। ज्यादातर मकान मालिकों का आरोप है कि किराएदारों के मकान ना खाली करने की वजह से वे जर्जर मकानों की मरम्मत नहीं करा पाते हैं। हालांकि किराएदारों के अनुसार अगर उन्हें पुर्नवास का स्थान मिल जाए तो वो मकान खाली कर दें।
बाजार में कई मकान जर्जर :- बैठकखाना बाजार में ऐसे कई जर्जर भवन हैं। मुड़ी पट्टी, पान पट्टी, मछली पट्टी व अन्य बाजार व उनके रिहायशी इलाकों में सैकड़ों लोग जान जोखिम में डालकर अपनी रोजी-रोटी के लिए काम करते हैं।