एनआरसी पर विपक्ष की एकता में पड़ी फूट
कोलकाताPublished: Aug 07, 2018 06:50:38 pm
बंगाल विधानसभा में एनआरसी विरोधी सर्वदलीय प्रस्ताव पेश, माकपा ने उठा तृणमूल और बंगाल सरकार की नीयत पर सवाल
एनआरसी पर विपक्ष की एकता में पड़ी फूट
एक लाख बंगालियों को क्यों बांग्लादेशी बताई तृणमूल सरकार- सुजन चक्रर्वी
कोलकाता
असम में राष्ट्रीय नारगरिक पंजीकरण (एनआरसी) की दूसरी सूची से 40 लाख लोगों के नाम बाहर करने के विरोध में दूसरे दिन मंगलवार को भी अपसी मतभेद के बावजूद पश्चिम बंगाल विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष एकजुटता दिखाया, लेकिन भाजपा इससे अलग रही। सभी ने केन्द्र सरकार और भाजपा पर वोट बैंक की राजनीति के लिए धर्म और भाषा के आधार पर एनआरसी करने का आरोप लगाया। एनआरसी विरोधी सर्वदलीय प्रस्ताव का समर्थन करने के साथ ही माकपा ने ममात बनर्जी सरकार और तृणमूल कांग्रेस के दोहरा मापदण्ड अपनाने का मुद्दा उठा कर एकता में दरार डाल दिया।विधानसभा में एनआरसी पर सर्वदलीय प्रस्ताव पेश करते हुए पार्थ चटर्जी ने कहा कि एनआरसी बहुत ही गंभीर मुद्दा है। भाजपा और केन्द्र सरकार योजनाबद्ध तरीके से धर्म और भाषा के आधार पर एनआरसी कर इसे सत्ता में रहने के लिए राजनीतिक हथकंडा के रुप मेें अपना रही है। हम बंगालियों की संस्कृति, शान्ति और धर्म पर अघाट कर रही है। जब भी हम बंगालियों पर आधात होगा तो अपसी मतभेद के बावजूद हम एक हैं। लेकिन माकपा नेता और वाम मोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखते हुए एकता में दरार डाल दिया। एनआरसी विरोधी सर्वदलीय प्रस्ताव का समर्थन करते हुए उन्होंने असम के करीब एक लाख बंगालियों की नागरिकता छिनने में राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि असम में रह रहे एक लाख से अधिक बंगालियों की सूची भेज कर उनके भारतीय नागरिक होने के बारे में पूछा था। लेकिन तृणमूल सरकार ने सिर्फ 6 हजार बंगालियों को भारतीय नागरिक बताया। इस कारण बाकि बंगाली एनआरसी सूची से बाहर हो गए। चक्रवर्ती ने सदन में सत्ता पक्ष से पूछा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनआरसी की सूची से बाहर किए गए असम के बंगालियों के प्रति संवेदना प्रकट कर रही है। फिर राज्य सरकार ने असम में रहने वाले शरणार्थियों को राज्य में आने से रोकने के लिए असम से सटे अलीपुरदुआर और कूचबिहार की सीमा पर क्यों नाकाबंदी किया गया। सुजन चक्रवर्ती ने सदन में तृणमूल कांग्रेस के बांग्लादेश से आए शरणार्थी विरोधी होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा की तरह तृणमूल कांग्रेस भी वर्ष 2005 तक प्रत्येक साल 21 जुलाई को होने वाली अपनी शहीद सभामंच से ममता बनर्जी माकपा बांग्लादेशियों को भारत में घूसपैठ करा कर अपना वोट बैंक बनाने का आरोप लगा रही थी। इससे पहले कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष अब्दुल मन्नान ने सर्वदलीय प्रस्ताव का समर्थन करते हुए एनआरसी की कड़ी निंदा की और कहा कि यह राजनीतिक आंदोलन नहीं है। हम बंगाल और बंगाली भाषा के लिए एकजुट हो कर आंदोलन कर रहे है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बंगाल आने पर उन्हें काला झंडा दिखाया जाए और उनसे पूछे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। बाद में सदन से बाहर मन्ना ने कहा कि बंगाल सरकार की ओर से असम में रह रहे सिर्फ छह हजार बंगालियों को भारतीय नागरिक और बाकी करीब एक लाख बंगालियों को बांग्लादेशी बताए जाने की घटना अगर सही है और उन्हें आने से रोकने के लिए सीमा शील किया गया है तो राज्य के मंत्रियों और सरकार को इसका जवाब देना होगा।