मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को राज्य की कुल आबादी के 90 प्रतिशत लोगों को खाद्य सुरक्षा के दायरे में लाने का दावा किया। खाद्य आंदोलन को याद करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को अपने ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट कर कहा कि सरकार राज्य के 90 प्रतिशत लोगों को खाद्य सुरक्षा मुहैया करा रही है। खाद्य सुरक्षा योजना के तहत उनकी सरकार लोगों को प्रति किलो दो रुपए के दर से चावल मुहैया करा रही है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1958 में अविभाजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और अन्य वामपंथी संगठनों ने खाद्य आंदोलन किया था, आंदोलन वर्ष 1959 के अगस्त महीने में चरम पर पहुंच गया था। इस आंदोलन से राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिला कर रख दिया था। मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है कि उनकी सरकार माओवाद प्रभावित क्षेत्र रहे जंगल महल, पहाड़ी क्षेत्र दार्जिलिंग, सुंदरवन के आइला तूफान प्रभावित क्षेत्र और सिंगुर के किसानों को विशेष सुविधाएं दी जा रही है। वर्ष 1958 में हुए खाद्य आंदोलन को याद करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि एक समय बंगाल में लोगों लोगों को खाने के लिए आंदोलन करना पड़ता था। लेकिन अब लोगों को कुछ नहीं करना पड़ता है। उनकी सरकार की ओर से राज्य के आठ करोड़ 59 लाख लोगों को खाद्य सुरक्षा योजना के दायरे में लाया गया है। इसमें जन वितरण प्राणली (पीडीएस) के तहत चाय बागान में काम करने वाले लोगों के परिवार और उत्तर बंगाल के टोटो आदिवासी समुदाय के लोगों को दो रुपए प्रति किलो के दर से चावल और तीन रुपए प्रति किलो के दर से गेंहू दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1958 में अविभाजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और अन्य वामपंथी संगठनों ने खाद्य आंदोलन किया था, आंदोलन वर्ष 1959 के अगस्त महीने में चरम पर पहुंच गया था। इस आंदोलन से राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिला कर रख दिया था। मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है कि उनकी सरकार माओवाद प्रभावित क्षेत्र रहे जंगल महल, पहाड़ी क्षेत्र दार्जिलिंग, सुंदरवन के आइला तूफान प्रभावित क्षेत्र और सिंगुर के किसानों को विशेष सुविधाएं दी जा रही है। वर्ष 1958 में हुए खाद्य आंदोलन को याद करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि एक समय बंगाल में लोगों लोगों को खाने के लिए आंदोलन करना पड़ता था। लेकिन अब लोगों को कुछ नहीं करना पड़ता है। उनकी सरकार की ओर से राज्य के आठ करोड़ 59 लाख लोगों को खाद्य सुरक्षा योजना के दायरे में लाया गया है। इसमें जन वितरण प्राणली (पीडीएस) के तहत चाय बागान में काम करने वाले लोगों के परिवार और उत्तर बंगाल के टोटो आदिवासी समुदाय के लोगों को दो रुपए प्रति किलो के दर से चावल और तीन रुपए प्रति किलो के दर से गेंहू दिया जाता है।