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Demand of Netaji’s Daughter: ‘टोक्यो से नेताजी की अस्थियां नहीं ले आने तक श्रद्धांजलि देना ढोंग’

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125 वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने के बीच नेताजी के प्रपौत्र आशीष रे नेताजी के निधन को लेकर विवाद याद दिलाते हुए कहा कि जब तक टोक्यो से नेताजी की अस्थियां अपने देश में नहीं लाई जातीं, तब तक उन्हें श्रद्धांजलि देने के ल

कोलकाताJan 25, 2021 / 01:40 pm

Manoj Singh

Demand of Netaji’s Daughter: ‘टोक्यो से नेताजी की अस्थियां नहीं ले आने तक श्रद्धांजलि देना ढोंग’

स्वतंत्रता संग्राम के महानायक के प्रपौत्र आशीष रे बोले
कोलकाता
देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125 वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने के बीच नेताजी के प्रपौत्र आशीष रे शनिवार को नेताजी के निधन को लेकर विवाद याद दिलाते हुए उनकी अस्थियां लाने की मांग की। नेताजी पर लिखी गई किताब ‘लेड टू रेस्ट’के लेखक रे ने इस दिन कहा कि जब तक टोक्यो से नेताजी की अस्थियां अपने देश में नहीं लाई जातीं, तब तक उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लगी होड़ सिर्फ पाखंड है।

उल्लेखनीय है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में कथित तौर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन के बाद उनकी अस्थियों के संरक्षण को लेकर लंबे समय से बहस जारी है। बहस इस बात को लेकर भी है कि नेताजी की मृत्यु उक्त हवाई जहाज के दुर्घटना में नहीं हुई थी।

लंदन में रह रहे आशीष रे का कहना है कि अगर भारत 75 वर्षों से टोक्यो रखी गईं नेताजी की अस्थियों को भारत लाकर श्रद्धा के साथ उसे गंगा में विसर्जित नहीं करते, तब तक उनको श्रद्धांजलि देना मात्र पाखंड और ढोंग है। उन्होंने कहा कि
उनकी बेटी और एकमात्र उत्तराधिकारी प्रोफेसर अनीता बोस पॉफ की दिली तमन्ना है कि उनके पिता की अस्थियों को भारतीय मिट्टी पर लाया जाए। उनके पिता की महत्वाकांक्षा भारत को आजाद देखने की थी और उनके अस्थियों को बंगाली हिंदू परंपरा के साथ गंगा नदी में बहाया जाए।

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