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‘पेंशन तो नहीं मिली, पर बहुत मिला टेंशन’

locationकोलकाताPublished: Nov 21, 2018 10:34:34 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

जिंदगी से जद्दोजहद–पति की मौत के बाद 2०० रु. कर्ज लेकर सोमा ने शुरू किया व्यवसाय—और आज 40 महिलाओं को दे रही है रोजगार——सबला मेले में पत्रिका संवाददाता के साथ खास मुलाकात में छलका दर्द

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‘पेंशन तो नहीं मिली, पर बहुत मिला टेंशन’

कोलकाता (शिशिर शरण राही). कहते हैं कि वक्त हर जख्म भर देता है और मुसीबत कभी अकेले नहीं आती। पश्चिम बंगाल पुलिस में बतौर कांस्टेबल कार्यरत सुभाशीष चक्रवर्ती की सडक़ हादसे में मौत के बाद बंगाल के जलपाईगुड़ी के धूपगुड़ी निवासी सोमा चक्रवर्ती की जिंदगी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। 2003 में हादसे में पति की मौत के गम से सोमा उबर भी नहीं पाई थी कि 2011 में दोस्त को डूबने से बचाने के चक्कर में इकलौता पुत्र भी महज 12 साल की आयु में ही हमेशा-हमेशा के लिए उसका साथ छोड़ गया। पति-पुत्र की मौत ने सोमा की हंसती-खेलती जिंदगी उजाड़ कर रखी दी और वह अवसादग्रस्त हो गई। इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और जीवन की मुसीबतों का डटकर सामना किया। कोलकाता के ब्रेन एंड न्यूरोसाइंस हॉस्पिटल में 5 साल तक चले सघन इलाज के बाद जब मानसिक स्थिति में सुधार हुआ, तो पेट पालने, बेटी की परवरिश और आर्थिक तंगी की खातिर उसने 200 रुपए कर्ज लेकर खुद का व्यवसाय शुरू किया। आज सोमा 40 महिलाओं को रोजगार देकर उनका जीविकोपार्जन कर रही है। साल्टलेक के सेंट्रल पार्क में लगे सबला (स्वनिर्भर) मेले में पत्रिका संवाददाता के साथ खास मुलाकात में सोमा ने जिंदगी से जद्दोजहद की दास्तान बयां की। बेहद अफसोस के साथ उसने कहा कि पति की पेंशन तो आज तक नहीं मिली, पर जीवन में टेंशन उसे बहुत मिला। पश्चिम बंगाल सरकार के स्वनिर्भर समूह और स्व-रोजगार विभाग के सौजन्य से आयोजित राज्य सबला मेले में सोमा के स्टॉल में स्टीचिंग छाते (छातों पर हाथ से बनाए गए डिजाइन), कांथा स्टीच, हस्तनिर्मित ज्वैलरी, फ्लावर स्टैंड, लेडिज सूट-कुर्ती और बेटशीट्स आदि प्रदर्शित की गई है। मेले का समापन 25 नवंबर को होगा।
—दूत बनकर आया भाई
पत्रिका के सवालों के जवाब में सोमा ने बताया कि पति-पुत्र की मौत के बाद एक समय ऐसा भी आया जब उसकी जिंदगी अंधकार में डूब गई। ऐसे में उसका भाई दिव्येन्दु बसाक ईश्वरीय दूत की तरह उसका मददगार बना। सोमा ने कहा कि वह आज जो कुछ भी है भाई की बदौलत है। सोमा ने कहा कि आज वह मानसिक तनाव से मुक्त पिछले सारे गम-दर्द भूल कर अपने घर पर लडक़े-लड़कियों को डांस की ट्रेनिंग 2012 से ही दे रही है। उसे इस बात का फक्र है कि आज उसकी बेटी वीरपाड़ा में एक कॉलेज में गेस्ट लेक्चरर है।
—-दीदी ममता से भेंट करने की जताई मंशा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में सोमा ने कहा कि अभी तक तो मुलाकात नहीं हो सकी पर सरकार से मदद की उसे दरकार है। सोमा ने कहा कि उसकी बहुत इच्छा है दीदी से भेंट करने की, क्योंकि उसने सुना है कि ममता का दिल ममतामयी है। आज की युवतियों खासकर घर पर बैठी बालिकाओं को सोमा ने अपने हुनर में निखार लाने और पूरी तन्मयता से किसी भी काम को करने की सीख देते हुए कहा कि कोई भी काम छोटा नहीं होता।
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