scriptWest Bengal Assembly Elections 2021: लोगों को मोदी से उम्मीदें, पर दीदी भी कम नहीं | People have expectations from Modi, but Didi is no less | Patrika News

West Bengal Assembly Elections 2021: लोगों को मोदी से उम्मीदें, पर दीदी भी कम नहीं

locationकोलकाताPublished: Apr 16, 2021 06:14:23 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

जिसके वादों में दम उसी के सिर सजेगा हाबरा विधानसभा क्षेत्र से जीत का सेहरा
मंत्री मल्लिक व प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर

West Bengal Assembly Elections 2021: लोगों को मोदी से उम्मीदें, पर दीदी भी कम नहीं

West Bengal Assembly Elections 2021: लोगों को मोदी से उम्मीदें, पर दीदी भी कम नहीं

मनोज कुमार सिंह
हाबरा. भारत-बांग्लादेश सीमा पेट्रापोल से 35 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल के हाबरा विधानसभा क्षेत्र का छोटा शहर हाबरा चैत्रमास की खरीदारी से गुलजार नजर आया तो भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के झंडे जुगलबंदी करते दिखे।
तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा मुकाबले में हैं। दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। West Bengal Assembly Elections 2021
कोलकाता को बांग्लादेश से जोडऩे वाले यशोर रोड किनारे पूजन सामग्री बेचने वाली 45 साल की चम्पा गाइन कहती है पति की कमाई कम पडऩे पर उसे यह काम करना पड़ रहा है। ममता सरकार से जो मिला वो काट के मिले। अब मोदी से उम्मीद है।
वहां से 300 मीटर दूर पांचु गोपाल साधुखां अपनी छोटी दुकान में ग्राहकों का इंतजार करते दिखे। उनके चार बेरोजगार बेटे भी इसी दुकान में बैठते हैं।

वे कहते हैं इलाके में रोजगार नहीं है और न ही लोगों के पास पैसे है। यह बाजार हमेशा गुलजार नहीं रहता। लोगों में पीएम मोदी से उम्मीदें और उनका प्रभाव दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन ममता दीदी भी कम नहीं हैं।
शहर से तीन किलो मीटर दूर ग्वालबाकी गांव में हरि विश्वास, उनकी पत्नी प्रेमलता और बेटी उनके बेटा अभिजीत खेत से लौट कर सुस्ता रहे हैं।

वे कहते हैं कि खेती की कमाई पर्याप्त नहीं है। दीदी ने केंद्र से मिलने वाले पैसे नहीं दिलवाए, अब कहती हैं कि तीसरी बार जीत दिलाओ तो किसानों व महिलाओं को पैसे देंगे।

दोनों दल खेल रहे दांव
चुनाव जीतने के लिए भाजपा भ्रष्टाचार, कटमनी, केन्द्र से आए चावल और अम्फान राहत सामग्री व पैसे की चोरी के मुद्दों और सोनार बांग्ला बनाने के वादे कर रही है।
तृणमूल अपनी जीत बरकरार रखने के लिए घर-घर बैठक कर जीतने पर महिलाओं को प्रति माह 500 रुपए देने का वादा कर रही है। अशोकनगर के सुजीत दास कहते हैं कि एक बार मोदी को मौका दिया जाना चाहिए।
राजनीतिक रंग बदलता रहा
90 प्रतिशत आबादी नामशुद्र, मतुआ समुदाय, साहु और दत्त समाज की है। इसमें मुखर्जी, गांगुली और कर्मकार समाज के भी लोग हैं।

सभी 1961 के बाद बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) से आकर बसे हैं। समय के साथ इनका राजनीतिक रंग भी बदलता रहा है। पहले कांग्रेस, उसके बाद माकपा फिर तृणमूल कांग्रेस के पाले में रहे लोगों का रुझान तेजी से भाजपा की ओर बढ़ा रहा है।
क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण
1951 से दो दशक कांग्रेस के साथ रहने वाला यह क्षेत्र 1972 से माकपा के लाल दुर्ग में तब्दील हो गया। कांग्रेस से टूट कर 1998 में बनी तृणमूल कांग्रेस 2001 में इसमें सेंध लगाने में कामयाब हो गई।
2006 में यह क्षेत्र फिर माकपा के लाल रंग में रंग गया। लेकिन पांच साल बाद तृणमूल ने इस सीट को छीन लिया। वर्ष 2018 से बंगाल के अन्य क्षेत्रों के साथ इस क्षेत्र में भी भाजपा का प्रभाव तेजी से बढ़ा है।
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