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आत्मा की संवेदनात्मक अनुभूति है कविता

locationकोलकाताPublished: Sep 22, 2021 04:20:28 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

कविता आत्मा की संवेदनात्मक अनुभूति है। कविता संवेदना से निकलती है और दूसरों में संवेदना भर देती है। यह कहना है समाजसेविका और लेखिका स्नेहलता बैद का। राजस्थान के चूरू जिले के तारानगर गांव की मूल निवासी स्नेहलता का कविताओं से विशेष लगाव है।

आत्मा की संवेदनात्मक अनुभूति है कविता

आत्मा की संवेदनात्मक अनुभूति है कविता

कविता संवेदना से निकलती है और दूसरों में संवेदना भर देती है: स्नेहलता बैद
रवीन्द्र राय
कविता आत्मा की संवेदनात्मक अनुभूति है। कविता संवेदना से निकलती है और दूसरों में संवेदना भर देती है। यह कहना है समाजसेविका और लेखिका स्नेहलता बैद का। राजस्थान के चूरू जिले के तारानगर गांव की मूल निवासी स्नेहलता का कविताओं से विशेष लगाव है। कविताएं पढऩा, सुनना और सुनाना उनका शौक है। वे पिछले कई साल से समाजसेवा के जरिए वनवासियों के जीवन में खुशियों के रंग भर रही हैं। वनवासी कल्याण आश्रम: कार्य परिचय उनकी प्रकाशित पुस्तक है।

कविताओं के प्रति प्रेम
स्नेहलता ने श्रीशिक्षायतन कॉलेज से पढ़ाई के बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री ली। फिर वे शादी के बंधन में बंध गईं। जुगल किशोर जैथलिया से मिलने के बाद उनका कुमारसभा पुस्तकालय में आना-जाना शुरू हुआ। आचार्य विष्णुकांत शास्त्री से मुलाकात के बाद कविताओं के प्रति उनका प्रेम बढ़ गया।

आशा की किरण हैं कविताएं
उन्होंने कहा कि कविताएं मेरे लिए जीवन
ऊर्जा हैं। निराशा, अवसाद, कुंठा और तनाव के क्षणों में कविताएं मेरे लिए आशा की किरण हैं। स्नेहलता ने कहा कि मैं हर पल महसूस करती हूं कि कविताएं मेरे लिए पथ प्रदर्शिका हैं।

स्वरचित कविता व सम्मान
वनवासी भी बंधु हमारे, इनमें मानव रक्त। गलत नजर से इन्हें न देखो, ये भी प्रभु के भक्त।। ओ भारत के वीर सपूतों, आगे बढ़ कर आओ, कोटि-कोटि वनवासी जन को, अपने गले लगाओ। उनकी स्वरचित कविता है। उनके प्रिय कवि रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन, डॉक्टर शिवओम अंबर, कुंवर बेचैन हैं। विचार मंच ने उन्हें ग्राम्य सेवा सम्मान से सम्मानित किया।

वनवासियों की सेवा का संकल्प
वनवासी कल्याण आश्रम से जुडऩे के बाद स्नेहलता ने वनवासियों की सेवा का संकल्प ले लिया। वे पिछले 25 साल से कल्याण भारती पत्रिका का सम्पादन कर रही हैं। वे वनवासियों के सुख दुख में शरीक होने जंगलों में भी जाती हैं।

जीवन में संघर्ष भी किया
स्नेहलता ने माना कि उन्होंने जीवन में संघर्ष भी किया। बाद में हालात बदले। पति उम्मेद सिंह बैद का पूरा साथ मिला। पति अब तक 40 पुस्तकें लिख चुके हैं। दो बेटियां शिल्पा , सुप्रिया तथा पुत्र श्रेयांस बैद अपने अपने क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं।

मनुष्य का गुण मानवता
एक सवाल के जवाब में स्नेहलता ने बताया कि जिस प्रकार जल का गुण शीतलता और अग्नि का दहकता है, उसी प्रकार मनुष्य का गुण मानवता है। जैसा व्यवहार हम दूसरों से अपने लिए नहीं चाहते वैसा किसी के साथ भी ना करें।

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