राज्य के पूर्व वित्त मंत्री डॉ. दासगुप्ता ने बताया कि विकास से जुड़ी विभिन्न योजनाओं पर खर्च का भार केंद्र के मुकाबले राज्यों पर अधिक पड़ता है। वित्त वर्ष 2016-17 में केंद्र सरकार ने जहां विकास की मद में 8.5 लाख करोड़ खर्च किए वहीं राज्यों ने 19.8 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। केंद्र सरकार फिलहाल संयुक्त रूप से वसूले कर का 42 फीसदी राज्यों को देती है, उन्होंने इसे बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की।
कर्ज का बोझ कम करने की अपील-
डॉ. दासगुप्ता ने बताया कि उन्होंने 15 वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन.के. सिंह का ध्यान पश्चिम बंगाल पर कर्ज के भारी बोझ की ओर आकर्षित किया। सत्तापक्ष और विपक्ष ने एक सुर में ऋण का बोझ कम करने एवं कर्ज का पुनर्गठन के पक्ष में अपनी बात कही। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि वाममोर्चा के कार्यकाल में राज्य पर एक लाख 92 हजार करोड़ का कर्ज था। इसका अधिकांश हिस्सा लघु बचत योजना का था, परंतु वर्तमान में लघु बचत योजना की दर काफी कम हो गई। इसलिए ऋण का पुनर्गठन जरूरी है।
बंगाल को विशेष पैकेज दे केंद्र सरकार-
वित्त आयोग की बैठक में उपस्थित कांग्रेस विधायक नेपाल महतो ने केंद्रीय कर में राज्य का हिस्सा बढ़ाने तथा कर्ज के बोझ से राज्य को बचाने के लिए पश्चिम बंगाल को ‘विशेष पैकेज’ देने की मांग की। महतो ने बाढ़ और प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए विशेष आर्थिक सहयोग करने तथा जंगलमहल के जिलों के लिए मिलने वाली विशेष सुविधा को फिर से बहाल करने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए-1 और 2 सरकारों ने इसे काफी अहमियत के साथ चालू किया था।
भाजपा प्रतिनिधि पंकज राय केंद्रीय कर में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर सहमत हुए पर आर्थिक अनुशासन कायम रखने पर जोर दिया है। भाजपा प्रतिनिधि ने कहा कि वह भी चाहते हैं कि राज्यों से वसूले गए कर का 50 फीसदी हिस्सा वापस राज्यों को मिले। इस राशि का सदुपयोग हो इसकी गारंटी राज्यों को देना होगा।