शुभंकर ने हेल्थ डिर्पाटमेंट एवं क्लिनिक एस्टब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन में शिकायत दर्ज की। वहीं दूसरी ओर मौसमी ने गत 4 जुलाई को शुभंकर तथा परिवार वालों पर वधू उत्पीडऩ का मामला दर्ज करा दिया। इससे शुभंकर परेशान हो गया। गत 20 जुलाई को रिपोर्ट की छाया प्रति पाने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने लगाई फटकार
कोर्ट ने लगाई फटकार
गत 13 फरवरी को मामले की सुनवाई करते हुए जज देवांशु बसाक ने कहा कि नियम के अनुसार मरीज के परिजन को रिपोर्ट देने का अधिकार है, जबकि क्लिनिक ने रिपोर्ट नहीं दी। बेवजह किसी को परेशान किया गया, यह शर्म की बात है।
रिपोर्ट मिलने के बाद जज ने रेगुलेटरी कमीशन को शुभंकर का मामला जल्द निपटाने का आदेश दिया। जज की राय सुनने के बाद शुभंकर ने राहत की सांस ली। साथ ही इस बात का भी मलाल रहा कि अपने साथ हुए धोखे की जानकारी इस खास दिन में मिली। अब शुभंकर न्याय के इंतजार में है।