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PEACEMESSENGER PREM RAWAT SPEECH_ : ‘हमारे ही अंदर अच्छाई और बुराई’

locationकोलकाताPublished: Jun 28, 2019 07:23:59 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

PEACE MESSENGER PREM RAWAT SPEECH:मानवता और शांति पर चर्चा करने वाले वक्ता प्रेम रावत के विचार—–कई सरकारी-शैक्षणिक संस्थानों की ओर से ‘शांतिदूत’ से सम्मानित

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PEACEMESSENGER PREM RAWAT SPEECH_ : ‘हमारे ही अंदर अच्छाई और बुराई’

कोलकाता. हर इंसान के भीतर अच्छाई और बुराई है। अंधेरा-प्रकाश, संशय और स्पष्टता भी अंदर ही है। किसी चीज को हम देखते हैं और उसे सुंदर पाते हैं तो उस सुंदरता का आनंद भी अंदर है क्योंकि हम जो कर रहे हैं, इसका स्रोत हमारे अंदर है। सृष्टि का रचनाकार, जिसको हम खोज रहे और शैतान, जिससे बचना चाहते हैं दोनों ही हमारे अंदर हैं। यह कहना है मानवता और शांति के विषय में चर्चा करने वाले अंतरराष्ट्रीय वक्ता प्रेम रावत का। उन्हें इस कार्य के लिए कई सरकारी-शैक्षणिक संस्थानों की ओर से ‘शांतिदूत’ की उपाधि प्रदान की गई है। अपने संदेश की चर्चा के अलावा वे लोगों को सम्मान, शांति और समृद्धि के साथ जीवन यापन करने में मदद के लिए परोपकारी संस्था द प्रेमरावत फाउण्डेशन का भी संचालन करते हैं। रावत का कहना है कि कई बार कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लेने से हम समझते हैं कि अब हम अकेले हैं पर तब भी हम अकेले नहींं। जिसने सारी सृष्टि की रचना की और शैतान, जिससे सारी दुनिया परेशान है, दोनों हमारे साथ आए हैं। जो भी हो रहा दोनों साथ हैं। बुराई को बाहर निकालना और अच्छाई को आगे लाना, दोनों हमारे वश में है। रावत ने कहा कि शांति कहीं बाहर नहीं हमारे अंदर ही है। अगर शांति कहीं दूसरी जगह से आ रही है तो गड़बड़ है। अगर हम सिर्फ बाहर से लड़ रहे और अंदर से शांत हैं तो शांति का अनुभव लड़ाई के मैदान में भी हो सकता है। बाहरी शांति लाने के लिए आंतरिक शांति महसूस करना बहुत जरूरी है। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। यदि पानी से भरा एक मटका हमारे पास है और हम ट्रेन से सफर कर रहे तो जब मटके को खोलते हैं तो देखते हैं पानी हिल रहा है। मन में विचार आता है पानी क्यों हिल रहा? मटका तो नहीं हिल रहा? मैंने इसको बड़े अच्छे तरीके से पकड़ा है, पर पानी हिल रहा इसका कारण सभी जानते हैं। चूंकि ट्रेन हिल रही तो मटका भी हिल रहा और पानी भी। चाहे आप मटके को कितना भी पकड़ कर रखिए, पानी तो हिलेगा ही। ठीक उसी प्रकार अगर हम अशांत हैं, यानी हिल रहे हैं तो बाहर भी अशांति ही आएगी। यदि अंदर से शांत हैं तो वही शांति बाहर भी आएगी। शांति हमारे अंदर ही है। द प्रेम रावत फाउण्डेशन के अनेक प्रोजेक्ट में शामिल जनभोजन योजना के तहत जरूरतमंदों और बच्चों को रोजाना पोषक भोजन साफ पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है। प्रेम रावत फाउण्डेशन अन्य बड़ी परोपकारी संस्थाओं के साथ मिलकर विश्व भर में प्राकृतिक आपदाओं के लिए राहत कार्यों में भी सहयोग करती है।
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