निर्देश जारी किया था इससे पहले हाई कोर्ट एकल पीठ के न्यायाधीश आईपी मुखर्जी ने ग्रामीण अस्पतालों में 3 साल के बदले 1 साल तक सेवा देने का निर्देश जारी किया था। एकल पीठ के इसी निर्देश को चुनौती दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार तक एकल पीठ के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी।
क्या है मामला 2014 में देवाशीष का बांकुड़ा सम्मेलनी मेडिकल कॉलेज में दाखिला हुआ था। 2017 में उसने परीक्षा पास की थी। सरकार की ओर से उसके सामने एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने की शर्त रखी गई। जब उसने इनकार किया तो उससे 10 लाख का बॉन्ड मांगा गया। इसके बाद देवाशीष ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन राज्य सरकार ने उसका इस्तीफा मंजूर नहीं किया। इस बीच उसे उच्च शिक्षा का मौका मिला। जब उसने मेडिकल कॉलेज से अपने सर्टिफिकेट की कॉपी मांगी, तो प्रबंधन ने इनकार कर दिया। इसके बाद देवाशीष ने कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया था।