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मेडिकल में पीजी पढ़ाई पर सेवा संबंधी निर्देश पर रोक

locationकोलकाताPublished: Jul 12, 2018 08:35:45 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

—-ग्रामीण अस्पतालों में 3 साल तक सेवा देने का था नियम

kolkata west bengal

मेडिकल में पीजी पढ़ाई पर सेवा संबंधी निर्देश पर रोक


—-मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने लगाई एकल पीठ के फैसले पर रोक

कोलकाता. मेडिकल में पीजी पढ़ाई के लिए ग्रामीण अस्पतालों में सेवा देने संबंधी कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ के निर्देश पर गुरुवार को खंडपीठ ने सोमवार तक रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य एवं न्यायाधीश अरिजीत बंद्योपाध्याय की खंडपीठ ने यह रोक लगाई। २०१४ में राज्य सरकार ने एक मेडिकल बांड जारी कर कहा था कि मेडिकल में पीजी की पढ़ाई करने के लिए ग्रामीण अस्पतालों में 3 साल तक अनिवार्य रूप से सेवा देना होगा। ऐसा नहीं करने पर 30 लाख का बांड जमा करना होगा। इसके अलावा एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने पर 1 साल तक ग्रामीण अस्पतालों में सेवा देने अन्यथा 10 लाख का बांड जमा करने का प्रावधान किया गया था। मेडिकल छात्र देवाशीष भट्टाचार्य ने इस निर्देश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
निर्देश जारी किया था

इससे पहले हाई कोर्ट एकल पीठ के न्यायाधीश आईपी मुखर्जी ने ग्रामीण अस्पतालों में 3 साल के बदले 1 साल तक सेवा देने का निर्देश जारी किया था। एकल पीठ के इसी निर्देश को चुनौती दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार तक एकल पीठ के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी।
क्या है मामला

2014 में देवाशीष का बांकुड़ा सम्मेलनी मेडिकल कॉलेज में दाखिला हुआ था। 2017 में उसने परीक्षा पास की थी। सरकार की ओर से उसके सामने एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने की शर्त रखी गई। जब उसने इनकार किया तो उससे 10 लाख का बॉन्ड मांगा गया। इसके बाद देवाशीष ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन राज्य सरकार ने उसका इस्तीफा मंजूर नहीं किया। इस बीच उसे उच्च शिक्षा का मौका मिला। जब उसने मेडिकल कॉलेज से अपने सर्टिफिकेट की कॉपी मांगी, तो प्रबंधन ने इनकार कर दिया। इसके बाद देवाशीष ने कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया था।
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