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देश की रक्षा जरूरी : संत कमलमुनि

locationकोलकाताPublished: Nov 15, 2018 03:42:56 pm

Submitted by:

Vanita Jharkhandi

– वह धर्म महान है जो राष्ट्र रक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान की प्रेरणा देता

kolkata west bengal

देश की रक्षा जरूरी : संत कमलमुनि


कोलकाता. मानव के दो दिलों में सद्भाव के रिश्ते मजबूत करने वाली मानवीय एकता और अखंडता का पोषण करने वाला ही सबसे महान धर्म है। महापुरुषों ने सद्भाव को ही धर्म का असली प्राण बताया है। उक्त विचार राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने गुरु नानक देव की जयंती पर आयोजित शांति सद्भावना प्रभात फेरी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि धर्म उदारवाद परस्पर समन्वय और प्रेम स्थापित करने वाला होता है जिनका इन सिद्धांतों में विश्वास नहीं वह तीन ताल में धार्मिक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि धार्मिकता और कट्टरता में छत्तीस का आंकड़ा है। कट्टरता स्वयं के सदगुणों का नाश करता है और आपस में अलगाववाद की दीवार खड़ी करके मानव के बीच भेदभाव की खाई पैदा करता है। मुनि कमलेश ने कहा कि जो मानव होकर मानव से प्रेम नहीं करता वह लाख जप-तप साधना कर ले खुदा और भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता है। प्रेम ही परमात्मा का दूसरा रूप है। मानव से प्रेम करना परमात्मा की पूजा से बढ़कर है। राष्ट्रसंत ने बताया कि कट्टरपंथी ताकतें मानव को अपने पंथ की जंजीरों में कैद करते हुए मानवता के टुकड़े टुकड़े करने पर तुले हुए हैं। आपसी रिश्तो में नफरत का जहर घोलने का दुस्साहस कर रहे हैं। वह जनता को गुमराह करने का पाप कमा रहे हैं। देश में से कई पंथ और धर्म हैं। यदि सभी कट्टरता का नारा देंगे तो देश बिखर जाएगा। तो धर्म का और हमारा अस्तित्व कहां से बचेगा। देश की रक्षा में ही हमारी अपनी रक्षा है वह धर्म महान है जो राष्ट्र रक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान करने की प्रेरणा देता है। जैन संत ने बताया कि सभी धर्मों की उपासना पद्धति अलग-अलग हो सकती है। मार्ग अलग अलग हो सकते हैं लेकिन मंजिल एक ही है। वह है मानवीय गुणों का विकास धर्म के नाम पर हिंसा आतंकवाद नफरत पैदा करना घोर कलंक है। अमन चैन और शांति का माहौल बनाना ही सच्चे अर्थों में धर्म का पालन करने के समान है। गुरु नानक देव जी आजीवन यात्रा करते हुए जाति पंथ धर्म की संकीर्ण दीवारों को ध्वस्त करते हुए संपूर्ण मानवता में ज्ञान और प्रेम का दीप जलाया गुरु सिंह। सभा की ओर से राष्ट्रसंत का आत्मीय अभिनंदन किया गया। कौशल मुनि व घनश्याम मुनि ने भी यात्रा में भाग लिया।

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