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‘पद्मावती’ के विरोध की आग राजस्थान से पहुंची बंगाल

locationकोलकाताPublished: Nov 19, 2017 10:41:42 pm

रिलीज से पहले ही विवादों के घेरे में घिरी संजय भंसाली निर्देशित बहुचर्चित फिल्म ‘पद्मावती’ के विरोध

Padmavati

कोलकाता. रिलीज से पहले ही विवादों के घेरे में घिरी संजय भंसाली निर्देशित बहुचर्चित फिल्म ‘पद्मावती’ के विरोध की आग राजस्थान से अब बंगाल तक पहुंच गई है। अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज और भारत क्षत्रिय समाज की ओर से फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने सहित विरोध को लेकर शनिवार को प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन हुआ।

विभिन्न पदाधिकारियों ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान बंगाल सरकार को सलाह के साथ चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कोलकाता सहित बंगाल के किसी भी शहर में फिल्म प्रदर्शित की गई, तो इसके भयानक परिणाम होंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

फिल्म का विरोध करते हुए प्रेस क्लब के बाहर इसके पोस्टर को आग के हवाले कर भंसाली मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। अखिल भारतीय क्षत्रिय समाज के मुख्य संरक्षक जयप्रकाश सिंह, अध्यक्ष शेखर सिंह और महासचिव शंकर बक्श सिंह आदि की उपस्थिति में संवाददाता सम्मेलन में ‘पद्मावती’ फिल्म में राजपूतों के इतिहास को भ्रामक तरीके से प्रस्तुत करने और रानी पद्मावती को बतौर नृत्यांगना पेश करने की निंदा की गई। वक्ताओं ने कहा कि पद्मावती एक आदर्श भारतीय नारी थीं, जिनका भारत के इतिहास में अत्यंत गौरवपूर्ण स्थान रहा है।

उनकी शौर्यगाथा और वीरता पर पूरे देश को नाज है। क्षत्रिय समाज की प्रेरणास्रोत रानी पद्मावती ने देश-समाज की आन-बान और शान की खातिर और अपने सतीत्व की रक्षा के लिए हजारों नारियों के साथ खुद को ‘जौहर’ कर दिया था। इस फिल्म में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

पद्मावती के नृत्य सीन हटाने की मांग
भारत क्षत्रिय समाज ने ११ सूत्री मांगों का जिक्र करते हुए कहा कि बिना विवाद निपटे यह फिल्म रिलीज नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो फिर विरोधस्वरूप यदि कोई हिंसा हुई, तो उसकी जिम्मेदारी भंसाली और सरकार की होगी।

११ सूत्री मांगों में फिल्म प्रदर्शन से पहले इतिहासकारों सहित राजपूत प्रतिनिधियों को दिखाने, उनके संतुष्ट होने पर ही इसे रिलीज करने, रानी पद्मावती के नृत्य सीन को हटाने, सेंसर बोर्ड से पास हुए बगैर फिल्म का प्रोमो दिखाने की जांच, फिल्म में फंडिंग की जांच, विवाद के हल में केंद्र-राज्य सरकारों की पहल आदि शामिल है। राजपूत एकता मिशन बंगाल के संयोजक राम कुंवर सिंह ने क्षत्रियों के शौर्य-बलिदान का जिक्र किया।

कोलकाता मेट्रो चैनल पर 22 को आंदोलन
दूसरी तरफ भारत क्षत्रिय समाज की ओर से भी प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ सहन नहीं किया जाएगा। समाज के अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में मुख्य संरक्षक अरविंद सिंह ने कहा कि इस मसले पर राजपूत समाज के साथ अन्य समाज और मुस्लिम वर्ग का भी समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि कोलकाता मेट्रो चैनल पर 22 नवंबर को वृहद् आंदोलन होगा। समाज के युवा अध्यक्ष रवीन्द्र सिंह उर्फ दीपक ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि इतिहास बदलने वालों का भूगोल बदल दिया जाएगा।

ये थे मौजूद
राष्ट्रीय बिहारी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष मणि प्रसाद सिंह, रिसड़ा जागरण मंच के अरविंद सिंह, काशीपुर क्षत्रिय समाज के रामायण सिंह, बैरकपुर क्षत्रिय समाज के मनोज सिंह आदर्श, अखिल भारतीय आजमगढ़ सेवा संघ के ज्ञान प्रकाश सिंह, हावड़ा फिश मार्केट के रायबहादुर सिंह, मल्लिक समाज के श्याम मल्लिक, पंजाबी समाज से कृष्ण प्रताप मल्होत्रा, जीवनलता खन्ना, ब्राह्मण समाज के नवीन मिश्र, दीनानाथ पांडे, जायसवाल समाज के रितेश जायसवाल, चंद्रवंशी समाज के अनिल सिंह चंद्रवंशी आदि ने भी विरोध जताया।

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