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‘राहुल महापंडित ही नहीं, विश्व मानव थे’

locationकोलकाताPublished: Jan 21, 2019 09:15:19 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

भारतीय भाषा परिषद में राहुल सांकृत्यायन की 125वीं जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

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‘राहुल महापंडित ही नहीं, विश्व मानव थे’

कोलकाता. राहुल सांकृत्यायन ने गुलाम भारत में तिब्बत की 4 बार यात्राएं कर कई प्राचीन ग्रंथों का उद्धार ही नहीं किया बल्कि ईरान, इराक,श्रीलंका और रूस जैसे देशों की यात्रा करके वहां के अनुभव से हिंदी साहित्य के इतिहास का भंडार भरा। वे महापंडित ही नहीं विश्व मानव थे। भारतीय भाषा परिषद में राहुल सांकृत्यायन की 125वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानों ने यह उद्गार व्यक्त किए। आलोचक रविभूषण ने कहा कि राहुल ने विज्ञान को देश का मार्गदर्शक माना था और उन्हें देश को लेकर सच्ची चिंता थी। आज का भारत राहुल और उनके युग के आदर्शों के एकदम विरुद्ध खड़ा है। संस्कृत की प्रो. रत्ना बसु ने कहा कि तिब्बत से दुलर्भ बौद्ध ग्रंथों का उद्धार करना राहुल का एक महान काम था। उन्होंने संस्कृत साहित्य का इतिहास भी लिखा और वे तिब्बत विद्या और पाली साहित्य के प्रणेता थे। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रो. हितेंद्र पटेल ने कहा कि राहुल ने एक साधारण इंसान की तरह जिंदगी गुजारी पर महान काम किए। राहुल से जुडऩे का अर्थ अपनी परंपराओं, सामाजिक विविधताओं और भारतीय संस्कृति से जुडऩा है। उन्होंने भारत के नवनिर्माण का स्वपन देखा था। भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि राहुल आज की तरह के टूरिस्ट न होकर यात्री थे। वे साहित्य को संकुचित अर्थ में नहीं लेते, बल्कि उसका संबंध इतिहास, दर्शन, संस्कृति और सामाजिक सक्रियता से मानते थे। वे धार्मिक रूढिय़ों के खिलाफ थे। राहुल के पुत्र और सिक्किम विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रो. जेता सांकृत्यायन ने कहा कि कोलकाता में राहुल सांकृत्यायन पर किए गए इस आयोजन में भारी उपस्थिति से वे अभिभूत हूं।
—–कोलकाता से था बहुत लगाव
जेता ने उनसे जुड़े संस्मरणों की डिजिटल प्रस्तुति कर कहा कि जब तक राहुल के इतने चाहने वाले हैं राहुल का स्वपन कभी भी नहीं मर सकता। अध्यक्षता करते हुए पल्लव सेनगुप्ता ने कहा कि राहुल हिंदी वालों के बीच लोकप्रिय भले न हो पर बंगाल के लोग उनसे प्रेरणा लेते रहे हैं। उन्हें कोलकाता से बड़ा प्रेम था। भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी और मंत्री नंदलाल शाह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। पीयूषकांत राय ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि कोलकाता राहुल को कभी नहीं भूलेगा।

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