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महानगर में गरज के साथ आएंगे मेघ

locationकोलकाताPublished: May 18, 2019 10:19:10 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

मौसम विभाग ने दी बंगाल के ८ जिलों में लू की चेतावनी—–दक्षिण-पश्चिमी नम हवाओं ने बढ़ाई बेचैनी

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महानगर में गरज के साथ आएंगे मेघ

कोलकाता. बंगाल के कुछ हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से उत्तर-पश्चिमी गर्म हवाओं के कारण दिन और रात के तापमान में सामान्य से अधिक वृद्धि हुई है। मौसम विभाग ने कोलकाता, झारखंड, बिहार और ओडिशा में गरज के साथ बारिश की संभावना शनिवार को जताई। दक्षिणी बंगाल सहित कोलकाता और उत्तरी ओडिशा के तटीय भागों में हवा का रुख बदला है, पर दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी नम हवाओं ने पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में बेचैनी बढ़ा दी है। पूर्वी भागों में तापमान 37 डिग्री सेल्सियस के करीब है, लेकिन 65 प्रतिशत से अधिक आर्द्रता के कारण दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक है। इस बीच बंगाल के ८ जिलों में लू जारी रहने की चेतावनी भी विभाग ने दी है। मौसमी स्थिति से पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में लू की स्थिति भी देखने को मिल सकती क्षेत्रों के ऊपर बना हुआ है। इस मौसम सिस्टम के कारण, एक ट्रफ रेखा पश्चिम बंगाल के मध्य भागों से होते हुए उत्तरी ओडिशा तक फैला है। इस ट्रफ के पूर्वी दिशा की ओर बढऩे की संभावना है। वहीं, 24 घंटे के बाद, अधिक नमी की वजह से उत्तरी ओडिशा के तटीय भागों और दक्षिणी बंगाल सहित कोलकाता के कुछ हिस्सों में गरज के बादल छा सकते हैं।
—-अगले साल से भारत में तेज होगा लू का कहर
भूमि की नमी में कमी होने से वाष्पीकरण घट जाएगी। वाष्पीकरण की वजह से ही धरती का तापमान वातावरण में ट्रांसफर होता है। इस वजह से और ज्यादा हीट वेव्स आएंगी। उनका ड्यूरेशन भी बढक़र दोगुना-तिगुना हो जाएगा। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटोरियोलोजी (आईआईटीएम) के अनुसार भारत में 2020 से हीट वेव शुरू हो सकता है। स्टडी के मुताबिक भूमि की नमी में कमी और धरती से वातावरण में गर्मी का स्थानांतरण हीट वेव को बढ़ाएगा। 2020 और 2064 के बीच मौसम से जुड़ी होने वाली घटनाएं दक्षिण भारत के हिस्सों और तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करेगा, जो अभी तक हीट वेव से मोटे तौर पर बचे हुए हैं। स्टडी में 9 क्लाइमेट मॉडल्स का परीक्षण किया गया है, ताकि यह समझा जा सके भारत में हीट वेव्स की तीव्रता और ड्यूरेशन किस तरह बढ़ेगा व इसका स्वास्थ्य पर कितना गंभीर और विपरीत असर पड़ेगा। स्टडी में कहा गया है कि 1961 से 2005 के बीच गर्मी में उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण पूर्वी भारत में एक बार हीट वेव्स जरूर चली है जो औसतन 5 से 7 दिनों तक रही।स्टडी के मुताबिक 2020 से 2064 के बीच हीट वेव्स की फ्रिक्वेंसी डेढ़ से ढाई गुना तक बढ़ सकती है।भूमि की नमी में कमी होने से वाष्पीकरण भी घट जाएगा। वाष्पीकरण की वजह से ही धरती से पानी वातावरण में ट्रांसफर होता है। वाष्पीकरण घटने से और ज्यादा हीट वेव्स आएगी।

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