उधर मॉनसून में 3 जून को प्रगति देखने को मिली, जब यह दक्षिणी अरब सागर, मालदीव और कोमोरिन के कई क्षेत्रों, बंगाल की खाड़ी के कुछ भागों के साथ उत्तरी अंडमान सागर में भी दस्तक दी। इससे पहले मॉनसून 18 मई को अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में आया था। उसके बाद से इसकी धीमी प्रगति हुई। हालांकि मॉनसून की उत्तरी सीमा यानि नॉर्दर्न लिमिट ऑफ मॉनसून (एनएलएम) अभी भी समुद्री भागों में बनी है लेकिन प्रगति के बाद यह श्रीलंका के दक्षिणी भागों के करीब पहुंच गई है। इसके अलावा अराकान तटों और म्यांमार के डासीन क्षेत्र भी पहुंच गई है। एनएलएम इस समय पश्चिम में उत्तरी अक्षांश 6ए/पूर्वी देशांतर 60ए, अक्षांश 6ए/देशांतर 70ए, अक्षांश 6ए/देशांतर 81ए, अक्षांश 10ए/देशांतर 86ए, अक्षांश 13ए/देशांतर 89ए और अक्षांश 17ए/देशांतर 95ए के आसपास से हो गुजर रही है। स्काइमेट मौसम विशेषज्ञों क अनुसार अगले 24 से 48 घंटों के दौरान मॉनसून के श्रीलंका के और हिस्सों, कोमोरिन, बंगाल खाड़ी के मध्य भागों में प्रगति करने के लिए मौसम स्थितियां अनुकूल बनी हैं। आमतौर पर 25 मई तक श्रीलंका के अधिकांश भागों पर मॉनसून का आगमन हो जाता है लेकिन इस बार यह लगभग एक हफ्ते की देरी से चल रहा है और इसमें अभी समय लग सकते हैं। मॉनसून की अब तक की प्रगति देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मॉनसून अपने निर्धारित समय से 8 से 10 दिन की देरी से है। केरल में मॉनसून के आगमन सवाल पर अब तक भारत के मुख्य भू-भाग पर मॉनसून के आगमन के लिए मौसमी स्थितियां अभी भी अनुकूल नहीं रही हैं। अगले 3-4 दिनों में अरब सागर में एक निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हो सकता है जो मॉनसून को केरल में लाने में अपनी भूमिका निभाएगा। मॉनसून के समय और बाद में बारिश मुख्यत: तटीय भागों पर ही केन्द्रित रहेगी। दक्षिण भारत के आंतरिक हिस्सों के लिए मॉनसून आगमन धमाकेदार नहीं होने वाला है। आमतौर पर मॉनसून के आगमन के समय कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में अच्छी बारिश होती है लेकिन इस बार अच्छी बारिश के आसार नहीं होगी। मॉनसून आमतौर पर केरल और तमिलनाडु के कई इलाकों पर एक साथ आता है लेकिन इस बार यह स्थिति देखने को मिलेगी।