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‘जो वादा किया, वो निभाना पड़ेगा’

locationकोलकाताPublished: Oct 30, 2018 10:35:35 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

मरूधरा के मुकाबले पर महानगर—-गृह प्रदेश में चुनाव को लेकर प्रवासी राजस्थानी उत्सुक—- चुनावी घोषणा-पत्र को हर हाल में पूरा करने पर जोर

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‘जो वादा किया, वो निभाना पड़ेगा’


कोलकाता (शिशिर शरण राही) . विधानसभा चुनाव तारीख की घोषणा के साथ देश के जिन 5 राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें राजस्थान ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां ०७ दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार गुटबंदी, भीतरघात, असंतोष, स्थानीय, राष्ट्रीय, गो-तस्करी और जातिगत मुद्दे हावी रहेंगे। राजस्थान की मतदाता सूची में नाम दर्ज न होने के बावजूद कोलकाता के प्रवासी राजस्थानियों में उनके गृह प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर उत्सुकता है। पत्रिका से खास बातचीत में महानगर में निवासरत विभिन्न प्रवासी राजस्थानियों ने लगभग एक स्वर से चुनावी घोषणा-पत्र को हर हाल में पूरा करने पर जोर दिया। उन्होंने अपने-अपने अंदाज में चुनाव में भागीदारी, नई सरकार से अपेक्षाएं सहित अन्य मसलों पर जवाब दिए।
—–मतदाता सूची में नाम नहीं, फिर भी नागौर जाएंगे- काकड़ा
नागौर के प्रवासी राजस्थानी और कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील सहित लीगल रिलीफ सोसाइटी के चेयरमैन रामदेव काकड़ा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने के सवाल पर कहा कि हालांकि उनका नाम राजस्थान में मतदाता सूची में दर्ज नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वे ११ नवबंर को कोलकाता से नागौर जाएंगे। कोलकाता में जन्मे काकड़ा दौरे के दौरान चुनाव में वे अपने पसंदीदा प्रत्याशी को समर्थन देने के लिए ग्रामीणों से मुलाकात कर विजयी दिलाने के लिए उन्हें प्रेरित करेंगे। काकड़ा ने कहा कि उनके मुताबिक स्थानीय मुद्दों की अपेक्षा वर्तमान मसलों का ज्यादा असर चुनाव पर पड़ेगा। सरकार किसी भी दल की बने, पर मुकाबला कांटे का होगा। उन्होंने कहा कि तमाम दांवपेंच और जातिगत समीकरणों के बावजूद जनता विकास को अहमियत देने वाली पार्टी को अपना समर्थन देगी। काकड़ा ने कहा कि हालांकि राजस्थान विधानसभा चुनाव का इतिहास अबतक का 5 साल हमारी और 5 साल तुम्हारी का रहा है, पर इस बार यह गलत भी साबित हो सकता है। उनका कहना है कि राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 30 सीटें ऐसी हैं, जहां क्षेत्रीय दल अपना प्रभाव दिखा सकते हैं। ऐसे में अगर किसी दल के पास बहुमत के लिए सीटें कम पड़ती हैं तो क्षेत्रीय दल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
—-फिजूलखर्ची बंद हो-सूर्यकांता
राजस्थान जैन सभा और जैन साहित्य परिषद की सदस्य सूर्यकांता जैन ने कहा कि सबसे पहले तो चुनाव के पहले जारी घोषणा-पत्र में नेता जो वादे करें, उसे हर हाल में सरकार बनने के बाद पूरा करें। उन्होंने चुनाव के पहले प्रचार अभियान के नाम पर रथयात्रा निकालने की आलोचना करते हुए इसे जनता के पैसों की बर्बादी और फिजूलखर्ची बताया। सूर्यकांता को नई सरकार से राजस्थान में पानी-बिजली के बिल दर कम किए जाने की अपेक्षा है। उनका कहना है कि अभी अगर ५० यूनिट से अधिक बिजली खपत हो तो दुगुना बिल उपभोक्ताओं को जारी किया जाता है, जो मध्यम वर्ग के साथ अन्याय है। जयपुर के किशनपोल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूर्यकांता १९९२ से ही मताधिकार का प्रयोग कर रही हैं। जयपुर के मणिहारों का रास्ता में निवासरत सूर्यकांता ने कोलकाता में पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में कहा कि जयपुर में हैरिटेज के नाम पर सडक़ों की दशा बिगाडक़र रख दी गई, जिसके कारण 2 साल पहले एक बुजुर्ग सडक़ हादसे का शिकार हुए और उनका जबड़ा टूट गया। चुनाव से पहले किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान सडक़ों की दुर्दशा की ओर नहीं है, जो बेहद अफसोसजनक है। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले विभिन्न दलों की ओर से जारी किए गए घोषणा-पत्र हर हाल में सरकार गठन होने के बाद पूरे होने चाहिए।
–स्थानीय मुद्दों पर हो अधिक ध्यान-लाखोटिया
नागौर नागरिक संघ के पूर्व अध्यक्ष श्रीगोपाल लाखोटिया ने कहा कि उनके गृह स्थान की मुख्य समस्या सडक़ की है। उनकी अपेक्षा है कि राजस्थान में सरकार किसी भी दल की हो, सडक़ सहित स्थानीय मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जाए। पिछले ५० साल से कोलकाता में निवासरत नागौर निवासी प्रवासी राजस्थानी लाखोटिया ने ०७ दिसंबर को होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के संबंध में पूछे गए पत्रिका के सवालों के जवाब में कहा कि हालांकि अक्सर वे राजस्थान के दौरे पर जाते रहते हैं, लेकिन कभी भी मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया।
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