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RASHTRASANT ACHARYA VIRAGSAGAR PRAVCHAN AT DIGAMBER JAIN MANDIR, KOLKATA: ‘सृष्टि नहीं, बल्कि बदलें अपनी दृष्टि’

locationकोलकाताPublished: Jun 27, 2019 04:53:02 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

CHATURMAS, RASHTRASANT ACHARYA VIRAGSAGAR PRAVCHAN AT DIGAMBER JAIN MANDIR, KOLKATA: ‘दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में राष्ट्रसंत विरागसागर के प्रवचन

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RASHTRASANT ACHARYA VIRAGSAGAR PRAVCHAN AT DIGAMBER JAIN MANDIR, KOLKATA: ‘सृष्टि नहीं, बल्कि बदलें अपनी दृष्टि’

कोलकाता. जहां मित्रता है, वहां दया। इंसान को सृष्टि नहीं, बल्कि खुद की दृष्टि बदलने की कोशिश करनी चाहिए बाकि सबकुछ अपने आप ठीक हो जाएगा। राष्ट्रसंत गणाचार्य विरागसागर महाराज ने बुधवार को बड़ा बाजार के हरिराम गोयनका स्ट्रीट स्थित दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में प्रवचन के दौरान यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने साधु-संतों, साध्वियों सहित श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि दूसरों की वेदना-पीड़ा को खुद की पीड़ा महसूस करनी चाहिए। महापुरुष केवल उपदेश ही नहीं देते, बल्कि उसे जीवन में अमल भी करते। उन्होंने कहा कि मुनि अपने मन से तनावरहित होकर चिंतन-मनन में लीन रहते हैं। आत्मशुद्धि ही सिद्धि है। मुनियों की साधना राष्ट्र-समाज को सही रास्ता दिखाती है। संतों की बातें हमेशा असरदार होती हैं। उन्होंने कहा कि प्रेम, मैत्री, भाव, करूणा भाव ही हर धर्म का मूल सार है। राजा-प्रजा के लिए, देश और जगत के लिए मुनियों की साधना हितकारी होती है। दिगम्बर जैन मुनिसंघ व्यवस्था उपसमिति के प्रचार मंत्री नवनीत बज ने बताया कि विरागसागर महाराज ससंघ के साथ ५० साधु-साध्वी विराजमान हैं। ससंघ का उड़ीसा के खंडगिरी से प्रस्थान कर कोलकाता में मंगल प्रवेश हुआ है। चातुर्मास कलश की स्थापना 14 जुलाई को होगी।
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