अफस्पा हटने से बनेगा सद्भाव का माहौल
दशकों से उपेक्षित पूर्वोत्तर राज्य शांति, समृद्धि और विकास के एक नए युग का गवाह बनने की ओर अग्रसर हैं। सुरक्षा हालात में सुधार के बाद नगालैंड, असम और मणिपुर के कुछ जिलों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाने का फैसला इस बात का साफ संकेत है। लग रहा है कि पूर्वोत्तर राज्यों में अब उग्रवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है।
कोलकाता
Updated: April 04, 2022 12:28:26 pm
पूर्वोत्तर राज्य एक नए युग का गवाह बनने की ओर अग्रसर
राज्य की डायरी: पूर्वोत्तर
रवीन्द्र राय
कोलकाता. दशकों से उपेक्षित पूर्वोत्तर राज्य शांति, समृद्धि और विकास के एक नए युग का गवाह बनने की ओर अग्रसर हैं। सुरक्षा हालात में सुधार के बाद नगालैंड, असम और मणिपुर के कुछ जिलों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाने का फैसला इस बात का साफ संकेत है। लग रहा है कि पूर्वोत्तर राज्यों में अब उग्रवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। केन्द्र सरकार के इस फैसले को काफी साहसिक और अहम माना जा रहा है। इस फैसले से पूर्वोत्तर राज्यों में न केवल शांति व सद्भाव का माहौल बनेगा बल्कि आम लोगों को भी राहत मिलने की पूरी उम्मीद है।
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इस कारण तलाशी संभावना
नगालैंड के मोन जिले में सेना द्वारा कथित तौर पर गलत पहचान करने के बाद 14 लोगों की हत्या के बाद इस कानून को हटाने की संभावना तलाशी जा रही थी। आखिरकार गृह मंत्रालय की पहल पर पूर्वोत्तर में अफस्पा के तहत घोषित अशांत क्षेत्रों की संख्या में कटौती की गई। अफस्पा अब असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के केवल 31 जिलों में पूरी तरह और 12 जिलों में आंशिक रूप से प्रभावी है। इसे मेघालय से 2018 में, त्रिपुरा से 2015 में और 1980 के दशक में मिजोरम से पूरी तरह हटा लिया गया।
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सवाल उठते रहे
अफस्पा कानून को लेकर सवाल उठते रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कानून का विरोध जताया। आरोप लगते रहे हैं कि सेना और अन्य सशस्त्र बलों ने इस कानून के तहत मिली शक्तियों का दुरुपयोग किया। इसके कानून के तहत सशस्त्र सेनाओं के काम करने के लिए किसी भौगोलिक क्षेत्र को अशांत घोषित कर दिया जाता है।
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आजादी के बाद भी जारी
आजादी के बाद भी केन्द्र सरकार ने इस कानून को जारी रखा। शुरुआत में इस कानून को पूर्वोत्तर और पंजाब के अशांत क्षेत्रों में लगाया गया। इनमें ज्यादातर की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, बंगलादेश और म्यांमार से सटी थीं। अब उम्मीद की जा रही है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के हालात और तेजी से सुधरेंगे तथा इस कानून को एक दिन पूरी तरह निरस्त कर दिया जाएगा।

अफस्पा हटने से बनेगा सद्भाव का माहौल
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