जिला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। उन्होंने राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान लगभग 1000 शिकायत पत्र जमा हुए हैं। दिल्ली लौटने के बाद वह पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को रिपोर्ट देंगे। विजय सांपला ने संवाददाताओं से कहा कि 1947 की जो दर्दनाक भयावह आपबीती बुजुर्गों से हम सुनते थे, तस्वीरें देखते थे, उसका प्रत्यक्ष अहसास मुझे मिल्कीपाड़ा में दौरे के समय हुआ, जहां एक ही लाइन में 12 दुकाने तोड़ी गई, लूटी गई।
बर्धमान के गांव नबाग्राम और दक्षिण 24 परगना जिले के गांव नबासन में पीडि़त दलित परिवार घर छोड़कर भाग गए। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो उन्होंने कहा कि बर्धमान शहर के अंदर घरों पर आक्रमण कर घर जलाए गए, तोड़े गए, लूटे गए. डर के मारे पूरे के पूरे मोहल्ले खाली हो गए।
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। पुलिस को आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। राज्य प्रशासन को कोसा
उन्होंने कहा कि पीडि़तों की तो जिला प्रशासन द्वारा ना तो सूची बनाई गई है, ना उनके नुकसान का अंदाजा लगाया गया है और ना ही उन्हें अब तक कोई मुआवजा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि पीडि़तों की तो जिला प्रशासन द्वारा ना तो सूची बनाई गई है, ना उनके नुकसान का अंदाजा लगाया गया है और ना ही उन्हें अब तक कोई मुआवजा दिया गया है।
जब तक उनका पुनर्वास नहीं हो जाता, तब-तक प्रशासन को उनको तीनों समय का भोजन के लिए राशन और सिर रहने के लिए जगह देनी होती है। वह भी राज्य प्रशासन अब तक नहीं कर पाया। सांपला ने राज्य सरकार को कहा कि अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत कार्रवाई ना करने के दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कदम उठाया जाए।