scriptबंगाल में बनने लगे असम के अवैध निवासियों के आशियाने | Shelter are being prepared for Asam's illegal citizen in Bengal | Patrika News

बंगाल में बनने लगे असम के अवैध निवासियों के आशियाने

locationकोलकाताPublished: Aug 07, 2018 06:45:45 pm

Submitted by:

MANOJ KUMAR SINGH

खुफिया एजेंसियों की रिपोट में हुआ खुलाशा, कुछ भी कहने से कतरा रही है तृणमूल कांग्रेस
 

kolkata West Bnegal

बंगाल में बनने लगे असम के अवैध निवासियों के आशियाने

असम के जिन लोगों के पास कोई भी सरकारी दस्तावेज नहीं है वे पश्चिम बंगाल, मिजोरम और त्रिपुरा में अपना सुरक्षित आसियानों की तलाश में निकलने लगे हैं। येे करीब एक दशक पहले सीमा पार कर बांग्लादेश से असम में आए थे। पिछले तीन दिनों में करीब चार हजार लोग असम से निकल चुके हैं और बाकी असम छोडऩे की तैयारी में हैं।
कोलकाता
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) सूची से बाहर किए गए 40 लाख लोग में से भारतीय नागरिकता संबंधित कोई दस्तावेज वाले लोग अपने नए आसियानों की तलाश में आस-पड़ोस के राज्यों की ओर कूच करने लगे हैं। दूसरी ओर म्यानमार के रोहिंग्या मुसलमानों की तरह इन्हें पश्चिम बंगाल में बसाने की तैयारी शुरू हो गई है। खुफिया एजेंसियों ने इस संबंध में केन्द्र सरकार को अगाह करते हुए बताया है कि असम से सटे बंगाल के जिलों में इन्हें बसाने की तैयारी चल रही है। राज्य के अलीपुरदुआर और कूचबिहार सहित अन्य क्षेत्रों के प्रशासनिक अधिकारियों को विशेष व्यवस्था करने को कहा गया है। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस नेता इस बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
एनआरसी सूची से बाहर हुए लोगों में से जिनके पास राज्य सरकार की ओर से दिए गए नागरिकता प्रमाणपत्र है और वे एनआरसी में दर्ज नहीं है वे सूची में आपना नाम जोड़वाने के लिए दोबारा अपील करने की तैयारी कर रहे है। लेकिन जिनके पास कोई भी सरकारी दस्तावेज नहीं है वे पश्चिम बंगाल, मिजोरम और त्रिपुरा में अपना सुरक्षित आसियानों की तलाश में निकलने लगे हैं। येे करीब एक दशक पहले सीमा पार कर बांग्लादेश से असम में आए थे। प्राप्त गुप्त सूचना के अनुसार पिछले तीन दिनों में करीब चार हजार लोग असम से निकल चुके हैं और बाकी असम छोडऩे की तैयारी में हैं। गृह मंत्रालय के एक अला अधिकारी (पूर्वोत्तर राज्यों के विशेषज्ञ) ने बताया कि इन लोगों की पहली पसंद पश्चिम बंगाल, मिजोरम व त्रिपुरा है, क्योंकि वे बांग्लादेशी है और इन राज्यों की सीमा से सटे इलाकों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी रहते हैं। इन तीनों राज्यों में वे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे और उन्हें रोजी-रोटी मिलने में आसानी होगी। लेकिन त्रिपुरा जाने के लिए इन्हें लंबा रास्ता तय करना होगा, लेकिन मिजोरम और बंगाल पहुंचना इनके लिए मुश्किल नहीं है। इस लिए उक्त तीन राज्यों में से बंंगाल को वे अपना सबसे अधिक सुरक्षित आसियाना मान रहे हैं और वे असम से सटे बंगाल के अलीपुरदुआर और कूचबिहार जिलों में प्रवेश कर रहे हैं। वहां का प्रशासन इनके प्रति नरर्मी और सहयोग कर रहा है। इनका दूसरा पसंदीदा राज्य मिजोरम है, जहां भी कुछ बांग्लादेशी घूसपैठिए जा रहे हैं। हालांकि उक्त अधिकारी ने बताया कि देर-सवेर इन लोगों को फिर से एनआरसी से गुजरना पड़ेगा।
अलीपुरदुआर में बन रहा है आसियाना
भारतीय जनता युवा मोर्चा के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष देवजीत सरकार ने आरोप लगाया कि असम से आने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल सरकार अलीपुरदुआर में शिविर तैयार कर रही है। अलीपुरदुआर में हर साल बाढ़ पीडि़तों के लिए शिविर लगाए जाते हैं। लेकिन पिछले चार साल से क्षेत्र में बाढ़ नहीं आई है, फिर भी वहां पर शिविर तैयार किया जा रहा है। यह असम से आने वाले अवैध नागरिकों को ठहराने की तैयारी है। इसके अलावा असम में एनआरसी सूची से बाहर किए गए लोगों को राज्य के जिलों में भी तैयार चल रही है। शिविर वहीं पर बनाए जा रहे हैं, जहां के पंचायत पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है, जिससे सरकार को असम से आने वाले लोगों को वहां बसाने में किसी तर की परेशानी नहीं हो रही है। देवजीत ने दावा किया कि उत्तर 24 परगना जिले के बारासात, दक्षिण 24 परगना के बाहरूइपुर, वीरभूमि और पुरलिया में भी इनके रहने लिए शिविर बना जा रहे हैं।
– बारह साल पहले आए असम
असम के एक आईएएस अधिकारी के अनुसार इन दिनों जो असम से जो लोग बंगाल और मिजोरम जा रहे हैं, उनके पास भारतीय नागरिकता संबंधित किसी भी तरह का कोई दस्तावेज नहीं है। ये सभी पिछले दस-बारह साल पहले ही अवैध तरीके से बांग्लादेश की सीमा पार कर भारत में आए थे और रोजगार की तलाश में वे असम गए और वहीं पर बस गए।
बोलने को तैयार नहीं हैं तृणमूल
तृणमूल कांग्रेस इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रही है। यहां तक एनआरसी के मुद्दे पर लोकसभा एवं राज्यसभा में धमाल मचाने वाले पार्टी सांसद इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं है। पार्टी का पक्ष जानने के लिए लोकसभा सांसद सुब्रता बक्शी, तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि दल के साथ सिलचर गए सुखेंदु शेखर राय से इस बारे में संपर्क किया गया। लेकिन किसी ने कुछ कहने से पल्ला झार लिया। पार्टी प्रवक्ता भी इस बारे में कुछ भी कहने कतराते नजर आए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो