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Prashant Kishore को यह क्या बोल गए Mamata Banerjee के खास रहे Shobhan chatterjee

locationकोलकाताPublished: Aug 17, 2019 09:31:50 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

Trinmool congress में लगातार उपेक्षा के कारण हाल ही में BJP से जुड़े हैं Kolkata के Ex. Mayoy शोभन चट्टोपाध्याय

shobhan chaterjee

Prashant Kishore को यह क्या बोल गए Mamata Banerjee के खास रहे Shobhan chatterjee

कोलकाता. चार दशकों तक बंगाल की जननेत्री कही जाने वाली ममता बनर्जी के खास रहे शोभन चटर्जी अब भाजपा के साथ हैं। अपने पारिवारिक और निजी जीवन में तृणमूल सुप्रीमो की ओर से निभाई गई भूमिका को लेकर वे खासे दुखी भी हैं। तृणमूल कांग्रेस के चाल, चरित्र और चेहरे में आए बदलाव को पार्टी छोडऩे के निर्णय से जुड़ा बताते हैं। ममता बनर्जी पर से लोगों के विश्वास खत्म होने का दावा करते हैं व तृणमूल कांग्रेस को ठेकेदारो के हाथ में जाने की बात कहते हुए राजनीतिक रणनीतिकार प्रशान्त किशोर को ठेकेदार बताते हैं। साथ ही भाजपा में अपनी नई पारी को लेकर आशान्वित हैं सब को साथ लेकर काम करने की बात कहते हैं।
महीनों से लग रहे थे कयास
दक्षिण 24 परगना जिले के पूर्व तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष, कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर, राज्य के मंत्रीमंडल में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके और कभी तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो के विश्वासपात्र रहे शोभन ने पाला बदल लिया है। हफ्तों, महीनों के कयास के बाद वे अपनी मित्र बैशाखी के साथ दिल्ली भाजपा मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ले चुके हैं। लंबे समय तक तृणमूल कांग्रेस में हाशिए पर ढकेले जाने के बाद अब दक्षिण 24 परगना के इस सांगठनिक गुरु ने भाजपा की संभावनाएं सुधारने का बीड़ा उठाया है।
निजी जीवन पर की राजनीति
एक पोर्टल को दिए गए साक्षात्कार में शोभन चटर्जी जिन्हें ममता बनर्जी लाड़ से कानन कहती थीं, ने राज्य की राजनीति, तृणमूल कांग्रेस से उनकी दूरी बढऩे के कारण, भाजपा में उनकी नई भूमिका समेत कई प्रश्रों के बेबाकी से उत्तर दिए। ममता बनर्जी पर उनके निजी जीवन की समस्याओं पर राजनीति करने का आरोप लगाया। पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर प्रशान्त किशोर पर मोटी रकम खर्च करने पर सवाल उठाए। शोभन ने कहा कि ममता उनकी अभिभावक जैसी थीं लेकिन उनके जीवन को लेकर जिस तरीके से राजनीति की गई इससे वे आहत थे।
योगदान को भुलाया तृणमूल कांग्रेस ने
शोभन ने कहा कि उन्हें वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान 42 सीटों की जिम्मेवारी दी गई थी। पार्टी ने 40 सीटें जीतीं थीं। उनका योगदान भुला दिया गया। तृणमूल कांग्रेस के गठन के समय से ही अपनी जीवन ममता बनर्जी के लिए झौंक दिया लेकिन उपेक्षा के लगातार चलते रहने से उनके पास अब और कोई रास्ता नहीं बचा है।
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