विरोधी को भी मित्र बना देते थे सोमेन मित्रा
कोलकाताPublished: Aug 08, 2020 10:25:45 pm
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते सोमेन मित्रा के निधन से पार्टी ने एक ऐसा कर्मठ और सशक्त नेता खो दिया है जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं। यह कहना है कांग्रेस के प्रदेश सचिव ख्वाजा अहमद हुसैन का। सोमेन दा के निधन से हुसैन इतने आहत हुए कि सदमे में चले गए। करीब एक सप्ताह बाद सदमे से उबरने के बावजूद वे सोमेन मित्रा की ही बातें कर रहे हैं, उन्हें भूल नहीं पा रहे।
विरोधी को भी मित्र बना देते थे सोमेन मित्रा
प्रदेश कांग्रेस सचिव ख्वाजा अहमद हुसैन ने साझा की सोमेन दा से जुड़ी यादें
कोलकाता. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते सोमेन मित्रा के निधन से पार्टी ने एक ऐसा कर्मठ और सशक्त नेता खो दिया है जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं। यह कहना है कांग्रेस के प्रदेश सचिव ख्वाजा अहमद हुसैन का। सोमेन दा के निधन से हुसैन इतने आहत हुए कि सदमे में चले गए। करीब एक सप्ताह बाद सदमे से उबरने के बावजूद वे सोमेन मित्रा की ही बातें कर रहे हैं, उन्हें भूल नहीं पा रहे।
बल्लू के नाम से पहचाने जाने वाले प्रदेश कांग्रेस सचिव ख्वाजा अहमद हुसैन ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि 30 जुलाई की सुबह 8 बजे दोस्त सैयद शाहिद इमाम का फोन आया, बोले कुछ खबर मिली है, सोमेन दा नहीं रहे। यह सुनते ही मेरे होश उड़ गए।
हुसैन कहते हैं कि सोमेन दा पत्नी शिखा को बहुत चाहते थे। पल पल में पत्नी की बात करते थे। मुझे लगता है जिस तरह आनंद फिल्म में राजेश खन्ना डॉक्टर से कहते हैं कि वो (अमिताभ बच्चन) बहुत कमजोर है, मेरी मौत वह सहन नहीं कर पाएगा। शायद ठीक उसी लहजे में कांग्रेस नेता सोमेन मित्रा ने भी रात करीब 12 बजे बेचैनी के आलम में डॉक्टर से कहा होगा कि वो (उनकी पत्नी शिखा) बहुत कमजोर है, मेरी मौत सहन नहीं कर पाएगी, मुझे बचा लीजिए, परन्तु रात 1 बजे वे जिंदगी की जंग हार गए।
हुसैन ने कहा कि यूथ कांग्रेस से राजनीतिक सफर का आगाज करने वाले सोमेन मित्रा की छवि एक धर्मनिरपेक्ष नेता की थी। वे उदार व्यक्तित्व के धनी थे, उनसे जो एक बार मिलता था उन्हीं का हो जाता था। उन्होंने कहा कि सोमेन दा के चले जाने से पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को भारी क्षति हुई है। उनके जैसा व्यक्तित्व मिलना बहुत मुश्किल है। वे इतिहास में एक ऐसे नेता के रूप में याद रखे जाएंगे जो अपनी राजनीतिक सूझबूझ के कारण विरोधी को भी अपना मित्र बना लेेते थे।
हुसैन उर्फ बल्लू ने बताया कि 1981 से मैं सोमेन दा से जुड़ा और इसका इनाम उन्होंने मुझे 2019 में भाटपाड़ा विधानसभा उपचुनाव के टिकट के रूप में दिया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मुझे सचिव और प्रवक्ता भी बनाया। उनका सपना था कि देश में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बने। सोमेन दा के चले जाने के बाद बंगाल में कांग्रेस का ऊंट किस करवट बैठेगा? यह तो वक्त ही बताएगा।