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Doctor crisis – डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे राज्य के सरकारी अस्पताल

locationकोलकाताPublished: Jul 18, 2019 03:16:03 pm

Submitted by:

Renu Singh

– दिनोंदिन बढ़ रही मरीजों की संख्या, घट रहे डॉक्टर- सरकारी अस्पतालों में कई महत्वपूर्ण पद खाली, लोग परेशान

kolkata west bengal

Doctor crisis – डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे राज्य के सरकारी अस्पताल

कोलकाता
महानगर सहित राज्य के अधिकांश सरकारी अस्पताल डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों क ी कमी से जूझ रहे हैं। हाल यह है डॉक्टरों के अभाव में कई बार मरीजों को लौट जाना पड़ता है। महानगर के सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन ५ हजार मरीज आउटडोर में चिकित्सा कराने आते हैं। वहीं अस्पतालों में सभी विभागों को मिलाकर मरीजों की संख्या 2000 तक होती है। महानगर के कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, आर.जी.कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, एसएसकेेएम अस्पताल व मेडिकल कॉलेज, चितरंजन नेशनल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के कई पद रिक्त हैं।
सरकारी अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में सरकारी अस्पतालों का हाल ज्यादा खराब है। आमतौर पर शहर के डॉक्टर बाहर जाना नहीं चाहते हैं। राज्य में ४२ मेडिकल कॉलेज व अस्पताल बनाए हैं। राज्य के सभी अस्पतालों में कमोबेश चिकित्साकर्मियों की कमी है। यहां तक कई में तो अस्पताल अधीक्षक के पद भी खाली पड़े हैं। डॉक्टरों का कहना है कि जिलों के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है, इसमेंं दो राय नहीं है।
बुनियादी ढांचे की कमी
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो सरकारी अस्पतालों में बुनियादी ढांचे की कमी के कारण डॉक्टर अस्पताल में काम नहीं करना चाहते हैं। शहर में तो ठीक है पर ग्रामीण इलाकों में इसकी स्थिति बदतर है। पश्चिम बंगाल में लगभग 12,310 उप-केंद्र भी डॉक्टरोंं की कमी से जूझ रहे हैं। बंगाल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 349 सर्जन, 320 बाल रोग विशेषज्ञ और 297 स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। 2018 सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में क्रमश: 1-10411 और 1- 1170 डॉक्टर और बिस्तर की आबादी अनुपात था।
5 सालों में हुई न्यूनतम नियुक्तियां

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि मरीजों की संख्या बढऩे से अस्पताल पर दबाव भी बढ़ रहा है। नियमित रूप से स्वास्थ्य विभाग के पास अस्पतालों में सीटों बढ़ाने के आवेदन आते रहते हैं। ऐसे में पिछले पांच सालों में राज्य के सरकारी अस्पतालों में बहुत कम डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है।
शहरों में 675 व गांवों में 5512 मरीजों पर 1 डॉक्टर
श्रमजीवी स्वास्थ्य उद्योग के सलाहकार पुन:ब्रत गुन ने बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में पाए गए अंतिम आंकड़े के अनुसार शहरी इलाकों में 675 मरीज पर ड़ॉक्टरों की संख्या 1 है वहीं ग्रामीण क्षेत्र में एक डॉक्टर पर मरीजों की संख्या 5512है। पिछले ५ सालों में यह अनुपात और बढ़ा है। वहीं अगर स्वास्थ्य के नियमों को माने तो 20 मरीज पर 2 डॉक्टर होना चाहिए। वहीं एक नर्स पर ५ मरीजों की जिम्मेदारी होनी चाहिए।
मिले सिर्फ 6000 डॉक्टर

मालूम हो कि गत माह जून में राज्य में डॉक्टरों की व्यापक हड़ताल के बाद राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 10 हजार पदों पर नियुक्ति क ी बात कही गई थी। वहीं राज्य को केवल 6000 डॉक्टर मिल पाए थे, जो निजी अस्पतालों से आए थे।
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