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कोलकाता के कर्मवीर की कहानी

locationकोलकाताPublished: Apr 07, 2020 05:18:42 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

कोलकाता के कर्मवार भी किसी से पीछे नहीं हैं। पूरे देश की तरह महानगर में कई ऐसे कर्मवीर हैं जो अपनी समाजसेवा से लोगों का दिल जीत रहे हैं। उनमें से एक हैं कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल के एक डॉक्टर, जिन्होंने ड्यूटी से निकलने के बाद मुश्किल में फंसी 8 साल की बच्ची तथा उसके परिवार को कोलकाता से 270 किमी दूर बीरभूम जिले के सुलुंगा गांव अपनी कार से पहुंचाया।

कोलकाता के कर्मवीर की कहानी

कोलकाता के कर्मवीर की कहानी

कोलकाता.
कोलकाता के कर्मवार भी किसी से पीछे नहीं हैं। पूरे देश की तरह महानगर में कई ऐसे कर्मवीर हैं जो अपनी समाजसेवा से लोगों का दिल जीत रहे हैं। उनमें से एक हैं कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल के एक डॉक्टर, जिन्होंने ड्यूटी से निकलने के बाद मुश्किल में फंसी 8 साल की बच्ची तथा उसके परिवार को कोलकाता से 270 किमी दूर बीरभूम जिले के सुलुंगा गांव अपनी कार से पहुंचाया। यही नहीं डॉक्टर ने घर छोडऩे के बाद फिर 270 किमी कार चलाई और अस्पताल में ड्यूटी शुरू की। करीब 30 लीटर पेट्रोल खर्च हुआ। डॉक्टर ने जब सोशल मीडिया पर पूरी कहानी बताई तो लोगों ने उन्हें इस नेक काम के लिए बधाई दी।
25 मार्च को अस्पताल छोडऩे के बाद एनेस्थेटिस्ट बबलू सरदार ने दिहाड़ी मजदूर राजेश बास्की के परिवार को एम्बुलेंस ड्राइवर से घर छोडऩे के लिए विनती करते देखा। एम्बुलेंस ड्राइवर घर पहुंचाने के लिए अधिक पैसे की मांग कर रहा था, जो कि उनके लिए देना असंभव था। राजेश एक दैनिक मजदूर के रूप में बीरभूम में पत्थर काटने वाली यूनिट में काम करते हैं।

48 घंटे अस्पताल में ही रुका रहा परिवार
राजेश अपनी 8 साल की बच्ची एजेंला के इलाज के लिए आए थे जिसे आंत से जुड़ी समस्या थी। वह 23 मार्च को ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुई थी। हालांकि लॉकडाउन के चलते परिवार घर जाने में असमर्थ था और अस्पताल में ही 48 घंटे तक रुका रहा।

अधिक पैसे मांग रहे थे ड्राइवर
डॉक्टर ने बताया कि उस समय काफी रात हो चुकी थी लेकिन फिर भी परिवार घर नहीं जा पा रहा था। इसलिए मैंने उनकी मदद करने का फैसला लिया। मैं समझ सकता था कि परिवार आर्थिक तंगी के चलते घर जाने में समर्थ नहीं था। उनके घर में एक और छोटी बच्ची अकेली थी जिसकी चिंता उनके खाए जा रही थी। एम्बुलेंस ड्राइवर तकरीबन 13 हजार से 14 हजार रुपये तक मांग रहे थे जो परिवार वहन नहीं कर सकता था।

अगले दिन फिर ऑन ड्यूटी
डॉक्टर ने बताया कि अगले दिन उनकी सुबह 10 बजे से ड्यूटी थी लेकिन उन्होंने उन्होंने डिनर पर जाने के बजाय परिवार को घर तक पहुंचाने का फैसला किया। सरदार ने कहा कि हमने एसएसकेएम अस्पताल से 9 बजे सफर शुरू किया और करीब रात 3 बजे 270 किमी दूर सुलुंगा पहुंचा। डॉक्टर ने परिवार को झारखंड सीमा के पास स्थित उनके गांव तक पहुंचाया।

परिवार बोला- डॉक्टर हमारे लिए भगवान की तरह
डॉक्टर ने बताया कि घर पहुंचने के बाद एजेंला अपनी बहन से मिलकर काफी खुश थी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर मुझे संतुष्टि मिली। वापस आकर डॉक्टर ने अगले दिन 10 बजे अपनी ड्यूटी शुरू की। डॉक्टर ने बताया कि जब उन्होंने पूरी घटना के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा तो उन्हें ढेर सारे बधाई और अच्छे मेसेज मिले। वहीं बास्की ने कहा कि मैं डॉ. बबलू सरदार डॉक्टर का हमेशा ऋई रहूंगा, वे हमारे लिए भगवान की तरह हैं।
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