कोलकता समेत पूरे पश्चिम बंगाल में सूर्य उपासना का महापर्व ‘छठ’ की धूम है। छठ मइया के गीतों की गूंज से वातारण भक्तिमय हो उठा है। पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ छठव्रती मंगलवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य को आस्था पहला अघ्र्य देंगे। बुधवार सुबह उदीयमान भूवन भास्कर को अर्घ्य अपर्ण के साथ चार दिवसीय महापर्व समाप्त हो जाएगा। छठव्रती 36 घंटे का उपवास तोड़ प्रसाद ग्रहण करेंगे। छठपूजा को लेकर कोलकाता समेत पूरे पश्चिम बंगाल के विभिन्न गंगाघाटों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। रिवर ट्रैफिक, तटीय पुलिस, नागरिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारियों की तैनाती की व्यवस्था की गई है। नगर निगम और स्थानीय निकायों की ओर से भी छठव्रतियों की सुविधा के लिए बिजली, पानी, घाटों की साफ-सफाई आदि की व्यस्था की गई है। सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर जगह-जगह पर सेवा शिविर लगाए गए हैं। रविवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुए महापर्व के दूसरे दिन सोमवार को छठव्रतियों ने खरना विधि का पालन किया। इसके तहत व्रती शाम में मिट्टी के नए चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर बनाई गई गेंहू के आंटे की रोटी और गुड़ मिला खीर बनाए। अपने ईस्ट देवता की आराधना कर प्रसाद के रुप में रोटी और खीर ग्रहण की। प्रसाद ग्रहण के बाद से छठव्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। हिन्दीभाषी बहुल इलाकों में चारों छठी मईया की आराधना के गीत गूंज रहे हैं। घर हो या गली-मुहल्ला या फिर बाजार सभी ओर छठी मईया की अराधना के गीत सुनाई दे रहे हैं। कहीं बड़े-बड़े साउंड बॉक्स लगा कर छठ के गीत बजाए जा रहे हैं। ‘‘कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मंडराय…, भोर भइल मोरवा बोले भईल अघ्र्य के बेर, बन ना बलम जी कहंरिया…, पटना से केरवा मंगइनी, बलका दिहलें जुठियाए…., जैसे छठ मइया के पारम्परिक गीतों के साथ ाधुनिक फिल्मी और भोजपुरी गीतों की धुन पर भी सूर्यदेव और छठी मईया के अराधना एवं उपासना के गीत बज रहे हैं।