राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने मंगलवार को कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर को सन्यासी और उनकी रचना गीतांजली को उपनिषद कहा। उन्होंने कहा कि अपने छात्र जीवन से ही वे टैगोर की कविताओं की दुनियां में गंभीरता से विचरते रहे हैं। बार-बार उनकी कविताओंं को पढऩे पर उन्हें पता चला कि कविगुरु व्यक्ति नहीं, बल्कि उनमें उन्हें एक सन्यासी दिखाई दिया। गीतांजली उनके लिए कविताओं का संग्रह नहीं है, बल्कि यह आधुनिक युग का उपनिषद है। वे कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता गीतांजली का हिन्दी एलबम के तीन सीडी के विमोचन के बाद बोल रहे थे। राज्यपाल ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की पूर्णतिथि पर प्रेस क्लब, कोलकाता में आयोजित कार्यक्रम में उनकी कविताओं का संग्रह की सीडी का विमोचन किया। कविगुरु ने सात अगस्त 1941 को अंति सांस लिया था। उक्त सीटी राजभवन की ओर से तैयार किया गया है, जिसका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।
उक्त ऑडियो एलबम में राज्यपाल ने टैगोर की 157 कविताओं का पाठ किया है। इस मौके पर बांग्ला फिल्मों के अभिनेता सौमित्र चटर्जी, रामानंद बंद्योपाध्याय, सबुजकलि सेन, पार्थ घोष, गौरी घोष और सब्यसाची बसु रायचौधरी सहित बंगाल के अन्य बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
पार्थ घोष ने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं का हिन्दी में सीडी उपलब्ध पहली बार आ रहा है। यह कविगुरु के साहित्य के प्रेमियों के लिए सुखद समाचार है। जो लोग पढऩा नहीं चाहते वे उनकी कविताओं को अपने इच्छानुसार सुन सकते है। यह नया प्रयोग है और इसे राज्यपाल ने काफी दिलचस्पी के साथ किया है। देश-विदेश में इसकी बहुत सराहना हो रही है। रामानंद बंद्योपाध्याय ने कहा कि केशरीनाथ त्रिपाठी राज्य के पहले राज्यपाल हैं, जिन्होंने टैगोर की कृतियों के बारे में इतनी गंभीरता दिखाई है।