‘कायल कर देता है राजस्थानियों का सामाजिक-सांस्कृतिक कार्य’
टैगोर के गीतों का राजस्थानी कारवां—-राजस्थान दिवस पर पश्चिम बंगाल प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन का आयोजन
‘कायल कर देता है राजस्थानियों का सामाजिक-सांस्कृतिक कार्य’
कोलकाता. राजस्थानियों के सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य कायल कर देता है। सैकड़ों साल पहले व्यवसाय और काम की तलाश में मरूधरा से कोलकाता आए राजस्थानियों ने आज बंगाल में हर क्षेत्र में अपनी मेहनत, ईमानदारी और मधुर व्यवहार के चलते शिखर की बुलंदियों को छू रहे हैं। समाजसेवा में राजस्थानी समाज का अहम योगदान है। राजस्थान दिवस पर पश्चिम बंगाल प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से शनिवार को आयोजित रंगारंग कार्यक्रम टैगोर के गीतों का राजस्थानी कारवां का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने यह उद्गार व्यक्त किए। आईसीसीआर के सत्यजीत रे ऑडिटोरियम में हुए इस समारोह के अध्यक्ष संसद सदस्य (राज्यसभा) डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी थे। इस मौके पर कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर के राजस्थानी भाषा में अनुवादित गीतों की रवीन्द्र संगीत-नृत्य में पहली बार हुई रंगारंग प्रस्तुति पर ऑडिटोरियम तालियों से गूंज उठा। कार्यक्रम के आरंभ में संयोजक विश्वम्भर नेवर ने कहा कि आज बंगाल की संस्कृति में मारवाड़ी समाज घुलमिल गए हैं। बंगाल और राजस्थान दोनों की भाषा में मिठास है। सिंघवी ने अपने संबोधन में कहा कि उनका ददिहाल और ननिहाल सहित उनके करीब 100 परिजन कोलकाता में रहते हैं। उनकी माताजी का जन्म भी कोलकाता में ही हुआ था और आज 86 वर्ष की आयु में भी उनकी मां बहुत अच्छी तरह बांग्ला भाषा बोल लेती हैं। उन्होंने टैगोर को बहुत विचित्र शख्सियत बताते हुए कहा कि यह भारत का सौभाग्य है कि उनका जन्म यहां हुआ। उन्होंने कहा कि 300 साल पहले कोलकाता आए थे राजस्थानी और आज वे समाजसेवा सहित हर क्षेत्र में बंगाल के विकास में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। अध्यक्ष जगदीश चंद्र मूंधड़ा, संयोजक विश्वम्भर नेवर, प्रधान सचिव घनश्याम शर्मा, अशोक बियानी, सुभाष गोयनका, ताराचंद पाटोदिया और प्रदीप अगरवाला आदि सक्रिय रहे। संचालन राजप्रभा दस्सानी, विश्वम्भर नेवर और धन्यवाद ज्ञापित जगदीश चंद्र मूंधड़ा ने किया।