scriptGURU–PURNIMA SPECIAL: शिष्य ही नहीं, महानगर संवार रहे गुरु | teachers dedicated their to service of needy children AT kolkata | Patrika News

GURU–PURNIMA SPECIAL: शिष्य ही नहीं, महानगर संवार रहे गुरु

locationकोलकाताPublished: Jul 16, 2019 05:21:50 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

ON GURU-PURNIMA SO MANY FUNCTIONS WILL HELD ON 16 JULY: गुरु पूर्णिमा पर होंगे आज कई आयोजन–गुरु पूर्णिमा पर पत्रिका विशेष—–बेसहारा-अभावग्रस्त बच्चों के लिए सोना दा हैं सहारा, तो तनुश्री हाउस मदर

kolkata

GURU–PURNIMA SPECIAL: शिष्य ही नहीं, महानगर संवार रहे गुरु

कोलकाता. गुरु के त्याग और तप को समर्पित गुरु पूर्णिमा पर महानगर में मंगलवार को अनेक शैक्षणिक स्थानों में विविध आयोजन होंगे। चूंकि आषाढ़ पूर्णिमा को ही आदि गुरु वेदव्यास का जन्म हुआ इसलिए उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। गुरु-शिष्य का भविष्य ही नहीं संवारता, बल्कि उसे जीने का सलीका भी सिखाता है। महानगर में आज गुरु न केवल शिक्षा देने के साथ शिष्य को संवार रहे बल्कि शहर-समाज का भविष्य भी गढ़ रहे हैं। कोलकाता के चेतला स्थित कैलाश विद्यामंदिर-सह-आवासीय स्कूल के बच्चों के लिए संतोष कुमार दास उर्फ सोना दा न केवल एक गुरु, बल्कि उनके पितातुल्य हैं। जो उनके रहने, खाने-पीने से लेकर पढ़ाई, स्कूली ड्रेस, रहने और तबीयत खराब होने पर एक डॉक्टर के रूप में भी भूमिका अदा करते हैं। आजादी के पहले से ही 1850 में स्थापित कैलाश विद्यामंदिर में आज बंगाल के लगभग हर जिलों के ९५ जरूरतमंद बच्चों की हर प्रकार की परवरिश का भार सोना दा बगैर किसी तनाव के उठा रहे हैं। गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर राजस्थान पत्रिका को दिए इंटरव्यू में ७३ वर्षीय सोना दा ने कहा कि जरूरतमंद, निर्धन और अभावग्रस्त बच्चों के भोजन, पढ़ाई-लिखाई, रहने, व, इलाज आदि की निशुल्क व्यवस्था बतौर वार्डन उनके सान्निध्य में यहां चल रही है। यहां क्लास 5 से 12 तक की शिक्षण व्यवस्था है, जबकि 11 और 12वीं में सह-शिक्षा। हिंदी/अंग्रेजी माध्यम से यहां की शिक्षण व्यवस्था पश्चिम बंगाल शिक्षा बोर्ड के तहत संचालित है। बीए और एलएलबी की शिक्षा हासिल कर चुके सोना दा इस उम्र में भी समाजसेवा का जज्बा लिए हुए कहा कि कुल 17 स्टॉफ कार्यरत हैं, जिसमें तनुश्री बनर्जी २०१३ से ही इन बच्चों के लिए हाउस मदर के रूप में निशुल्क सेवाएं दे रही हैं। बच्चों के भोजन, पढ़ाई आदि से लेकर हर तरह की समस्याओं के समाधान करने में तनुश्री माहिर हैं। इस तरह की निशुल्क सेवा की प्रेरणा कैसे/कब उन्हें मिली? पर सोना दा ने कहा कि बचपन में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया और उन्होंने असहाय बच्चों की पीड़ा गहराई से महसूस की। उन्होंने कहा कि वैसे बच्चे जिनका कोई सहारा नहीं वे सहारा बनकर खुद को धन्य महसूस करते हैं। इसके लिए उन्हें न तो सरकार और न ही किसी अन्य संस्था से किसी तरह का अनुदान मिलता है। समग्र शिक्षा मिशन के तहत कोष का प्रावधान है पर इसके बावजूद सारे खर्च की व्यवस्था वे खुद के बलबूते ही उठा रहे हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से पता चलता है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज भी उन्हें सोना दा के नाम से बुलाती हैं। मंत्री फिरहाद हकीम से घनिष्ठ संबंध के बावजूद उन्होंने कभी भी उनके पद का गलत इस्तेमाल नहंी किया। शिक्षण स्तर के सवाल पर सोना दा ने गर्व से कहा कि यहां के 5 बच्चों ने इस साल प्रथम श्रेणी में सफलता हासिल की। वर्तमान में सोना दा चेतला ब्वॉयज एचएस के गर्वनिंग बॉडी मेंबर हैं, जहां के वे कभी छात्र थे।
—-शिक्षण के साथ समाज सेवा कर रही नीलिमा

शादी के पहले से ही बच्चों को आखर ज्ञान के साथ बेहतरीन जीवन जीने का पाठ पढ़ाने वाली नीलिमा सिन्हा आज शिक्षण के साथ समाज सेवा के विभिन्न कार्यों में बढ़ चढक़र हिस्सा ले रही हैं। रांची विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में डिग्रीधारी नीलिमा लिलुआ के अग्रसेन बालिका शिक्षा सदन में 1998 में अस्थायी तौर पर फिर सोहनलाल विद्यालय में 5 वर्षों तक शिक्षण से जुड़ी रही। २००४ से बेलूर स्थित अपने निवास में आर्थिक रूप से कमजोर नर्सरी से क्लास-१० के छात्र-छात्राओं को बगैर किसी फीस के शिक्षा के साथ चित्रकला का भी अभ्यास करा रही। पिछले 20 वर्षों से वे अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़ी हैं जहां सभी सदस्य एक वनवासी बच्चे की शिक्षा का खर्च उठाते हैं। जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा देने के साथ उनकी पाठ्य-पुस्तकों आदि की भी व्यवस्था में योगदान देती हैं। वर्तमान में गैर-सरकारी संस्था निर्मल गंगा चेतना मंच की महासचिव के रूप में सेवा दे रही नीलिमा पौधरोपण, गंगा घाटों की साफ-सफाई आदि सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो