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पूरा बंगाल धधक रहा, सीएम को कुछ नहीं दिख रहा: राज्यपाल

locationकोलकाताPublished: May 14, 2021 11:45:55 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर शुक्रवार को राज्य सरकार को फिर आड़े हाथों लिया। असम के शिविरों में शरण लिए हुए राज्य के हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात के बाद सिलीगुड़ी में धनखड़ ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के बाद एसआईटी बनाई और एसपी को निलम्बित कर दिया। मैं मुख्यमंत्री से यह पूछना चाहता हूं कि जब पूरा राज्य जल रहा है तो क्या उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है।

पूरा बंगाल धधक रहा, सीएम को कुछ नहीं दिख रहा: राज्यपाल

पूरा बंगाल धधक रहा, सीएम को कुछ नहीं दिख रहा: राज्यपाल

आरोप: थाने जाने से जनता और सत्ताधारी पार्टी से डरी हुई है पुलिस
लोगों से घर लौटने की अपील की, बोले, मैं अपने सीने पर गोली खाने को तैयार
सिलीगुड़ी/असम. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर शुक्रवार को राज्य सरकार को फिर आड़े हाथों लिया। असम के शिविरों में शरण लिए हुए राज्य के हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात के बाद सिलीगुड़ी में धनखड़ ने संवाददाताओं से कहा कि शीतलकूची की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, मुख्यमंत्री ने इसे नरसंहार और कोल्ड ब्लडेड मर्डर करार दिया। मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के बाद एसआईटी बनाई और एसपी को निलम्बित कर दिया। मैं मुख्यमंत्री से यह पूछना चाहता हूं कि जब पूरा राज्य जल रहा है तो क्या उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है।
राज्यपाल ने आरोप लगाया कि राज्य में इस वक्त लोग थाने जाने से डरे हुए हैं। पुलिस सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं से डरी हुई है। मैं उन लोगों को वापस आने के लिए कहा जो डर के मारे अपने घर छोड़कर भागे हुए हैं, मैं अपने सीने पर गोली खाने को तैयार हूं। धनखड़ ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से सकारात्मक नजरिए के साथ बात करूंगा। उन्हें जनादेश मिला है। मुख्यमंत्री को विवाद छोड़ देना चाहिए। धनखड़ शनिवार को राज्य के नंदीग्राम का दौरा करेंगे। वे उन क्षेत्रों में जाएंगे जहां पर चुनाव बाद हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं।

ममता बनर्जी की खामोशी चिंता का कारण
धनखड़ ने आरोप लगाया कि हिंसा को लेकर ममता बनर्जी ने चुप्पी साध ली। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि राज्य में रक्तपात और नरसंहार हुआ। मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि मामले में जांच जारी है लेकिन मुख्यमंत्री की चुप्पी मेरे लिए चिंता का कारण है।
राज्यपाल ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने अपने चुनावी प्रचार अभियान में अपने समर्थकों खासकर महिलाओं को केंद्रीय सुरक्षा बलों का विरोध करने के लिए उकसाया। मुख्यमंत्री को इस तरह का शब्द शोभा नहीं देता। मेरे लिए यह बहुत पीड़ादायक है कि एक मुख्यमंत्री ने यह सब किया। यह कानून के शासन के खिलाफ है। राज्यपाल ने कहा कि चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव हुए लेकिन सबसे ज्यादा हिंसा बंगाल में हुई और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

सत्तारूढ़ पार्टी पर अत्याचार के आरोप
राज्यपाल ने सड़क मार्ग से कूचबिहार से असम के रनपगली में शिविर तक की यात्रा की। उत्तर बंगाल के कूचबिहार से भाजपा सांसद नीशीथ प्रमाणिक उनके साथ थे। महिलाएं एवं बच्चों ने शिविरों में शरण ली हुई है। शिविर में रहे लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने दो मई को चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से बंगाल में अपने घर छोड़ दिए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस को लोगों ने उनके घरों में तोड़-फोड़ की। तृणमूल कार्यकर्ता उनपर अत्याचार कर रहे थे।

धनखड़ से लिपटकर फफक पड़ा बुजुर्ग
धनखड़ ने असम के धुबरी जिले में शिविर का दौरा किया और लोगों से बात की। महिलाएं एवं बच्चों ने यहां शरण ली हुई है। उन्होंने असम के अगोमानी इलाके का दौरा किया और पीडि़त परिवारों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। इस दौरान एक बुजुर्ग उनसे लिपटकर रोना लगा। राज्यपाल से हिंसा वाली कहानी बयां करते-करते वह रोने लगा। राज्यपाल ने बुजुर्ग और पीडि़त परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिया। शिविर में रह रहे लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने दो मई को चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से बंगाल में अपने घर छोड़ दिए हैं।

धनखड़ को पद से हटाया जाए: तृणमूल
तृणमूल के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने राज्यपाल को दिल्ली के शहंशाहों का एजेंट करार दिया है, साथ ही उन्हें अविलंब पद से हटाने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल हिंसा से प्रभावित हुए सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं की सुध ले रहे हैं। तृणमूल के कार्यकर्ता भी हिंसा के शिकार हुए हैं। राज्यपाल को उनकी कोई परवाह नहीं है। वे उनके बारे में नहीं सोच रहे। राज्यपाल दिल्ली के शहंशाहों के एजेंट बन गए हैं। राय ने कहा कि राज्यपाल ने शीतलकूची जाकर हिंसा की आग में घी डालने की कोशिश की है। वे राज्यपाल के पद पर रहने के योग्य ही नहीं हैं। उन्हें तुरंत हटा दिया जाना चाहिए। छह मई के बाद बंगाल में हिंसा थम चुकी है। राज्य सरकार की भूमिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी संतोष जताया है।

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