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west bengal election नवान्न और राइटर्स पर दखल का पहला मैच आज -पांच जिलों की 30 सीटों पर 191 खिलाड़ी मैदान में

locationकोलकाताPublished: Mar 27, 2021 01:49:23 am

Submitted by:

Krishna Das Parth

-इस मैच के स्टार खिलाडिय़ों में से तृणमूल की जून मालिया, वाममोर्चा के सुशांत घोष, देबलीना हेम्ब्रम और कांग्रेस के नेपाल महतो पर सबकी नजर-कौन कर पाएगा गोल, किसकी टीम होगी विजेता, परिणाम दो मई को

west bengal election नवान्न और राइटर्स पर दखल का पहला मैच आज -पांच जिलों की 30 सीटों पर 191 खिलाड़ी मैदान में

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कृष्णदास पार्थ
कहते हैं कि आप बंगाली हैं और फुटबॉल न खेलना जाने, तो आपके बंगाली होने पर लोग संदेह अवश्य ही करेंगे। क्योंकि बंगालियों के रग-रग में फुटबॉल रच-बसा है। चाहे पुरुष हो या महिला। सभी खेलना जानते हैं। भले कुछ लोग मैदान पर उतरकर खेल न सकें, लेकिन खेल की उन्हें बेहतर समझ होती है। अब यह खेल राजनीति में समाहित हो चुका है। तभी तो बंगाल के इस चुनाव में खेला होबे, एक प्रमुख स्लोगन बन गया है। राह चलते लोग अब बात-बात में कहने लगे हैं कि खेला होबे।
इस खेल का प्रथम मैच 27 मार्च, 2021 अर्थात शनिवार को होगा। इस मैच से ही समझ में आने लगेगा कि किस दल के खिलाड़ी कितने दमखम के साथ खेल रहे हैं और आठ चरणों में होने वाले इस खेल के अंत तक किस दल के खिलाड़ी में दम बचा रहेगा जो अपनी टीम को सत्ता का शील्ड दिला सके। वैसे तृणमूल कांग्रेस की एक मात्र मजबूत और चोटिल खिलाड़ी ममता बनर्जी मैदान में जो अपनी टीम को फिलहाल मजबूती के साथ आगे लेकर बढ़ रही है। अब देखना है कि ममता बनर्जी अपनी टीम को शील्ड दिलाने में एक बार फिर कामयाब होती हैं या सत्ता का यह शील्ड संयुक्त मोर्चा या भाजपा के पास चला जाएगा।
बहरहाल प्रथम मैच में सीपीएम के सुशांत घोष, तृणमूल के जून मालिया, बीरबा हांसदा, शांतिराम महतो, अखिल गिरि, सीपीएम के देबलीना हेम्ब्रम और कांग्रेस के नेपाल महतो मैदान में हैं।
बेनाचपारा कंकालकांड के आरोपी सुशांत घोष हाल ही में जेल में समय बिताने के बाद पुन: माकपा में लौटे हैं। उन्होंने बेनाचपरा में भी पैर रखा। इस बार सुशांत अपने कंधे पर लाल झंडे के साथ नवान्नो और राइटर्स की लड़ाई में शामिल हुए हैं। वे शालबनी से चुनाव लड़ रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के श्रीकांत महतो और भाजपा के राजीव कुंडू यहां से उनको टक्कर दे रहे हैं। उन्हें उम्मीदवार बनाने को लेकर वाम खेमे के एक वर्ग में बेचैनी थी। इसलिए, सुशांत न केवल शालबनी में पार्टी के लिए लड़ रहे हैं, बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य के लिए भी लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं तृणमूल की उम्मीदवार जून मालिया पर भी सबकी नजर है। जून मेदिनीपुर से पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। हालाँकि वह राज्य महिला आयोग से भी जुड़ी हुई हैं। यहां पर उनका भाजपा के शमित कुमार दास और भाकपा के तरुण कुमार घोष के साथ मुकाबला है।
झाडग़्राम से एक और महिला उम्मीदवार बीरबाहा हांसदा हैं। अपने माता-पिता को छोटी उम्र से ही राजनीति पर चर्चा करते देख बीरबाहा बड़ा हुआ है। उनके पिता नरेन हांसदा झारखंड पार्टी के संस्थापक थे। माँ चूनीबाला हांसदा एक राजनीतिज्ञ भी थीं। दोनों राज्य विधानसभा के सदस्य थे। हर कोई जानता था कि बीरबाहा इतने लंबे समय तक संताली फिल्म की लोकप्रिय नायिका है। इस बार तृणमूल ने उन्हें झाडग़्राम से उम्मीदवार बनाया है। हालांकि, चुनाव में ज्यादा अनुभव नहीं होने के बावजूद, बिरबाहा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि राजनीति उनके खून में है। बीरबाहा के साथ झारखंड विधानसभा क्षेत्र में सीपीएम उम्मीदवार मधु सेनराया और भाजपा के सुखमय के साथ हैं। सुखमय ने झाडग़्राम में 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एक समय पुरुलिया में बलरामपुर को वामपंथी किले के रूप में जाना जाता था। 2011 में वामपंथी शासन ध्वस्त हुआ। जिसमें तृणमूल कांग्रेस के शांतिराम महतो का प्रमुख योगदान था। वह 2016 में भी अपनी सीट बचाने में सफल रहे। फिलहाल, वे राज्य के दो विभागों, पश्चिमी विकास और स्व-रोजगार सृजन विभाग के मंत्री हैं। शांतिराम को तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी का बहुत ‘वफादार’ माना जाता है। हाल ही में, ममता ने खुद शांतराम के लिए बलरामपुर में जाकर प्रचार किया है। इस बार शान्तिराम का सामना भाजपा के बानेश्वर महतो और कांग्रेस के दीपक कुमार से होगा।
अखिल गिरी भी शांतिरम की तरह ममता के ‘वफादार सैनिक’ माने जाते हैं। शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने पर पूर्वी मिदनापुर में तृणमूल की जिम्मेदारी ममता ने उनके ही कंधों पर लाद दी है। इस बार भी अखिल रामनगर से चुनाव लड़ रहे हैं। वह इससे पहले तीन बार उस केंद्र से विधायक चुने जा चुके हैं। रामनगर में इस बार उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के स्वदेश रंजन नाइक और सीपीएम के सब्यसाची जाना हैं।
डेनिना हेम्ब्रम, रानीबांध में सीपीएम की उम्मीदवार हैं। देबलीना बुद्धदेव भट्टाचार्य के मंत्रिमंडल में पिछड़े वर्ग के कल्याण मंत्री थीं। वह तीन बार के विधायक हैं।
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