पश्चिम बंगाल के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी के बयान पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ शुक्रवार को बिफर पड़े। उन्होंने कहा कि मैं राज्य का संवैधानिक प्रधान हूं, मैं कोई पर्यटक नहीं। यह आश्चर्य की बात है कि राज्य सरकार के रवैए के कारण लोग मुझे पर्यटक समझ रहे हैं। जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) में आयोजित कोर्ट बैठक में शामिल होने के बाद राज्यपाल संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं बताना चाहता हूं कि राज्यपाल की भूमिका क्या होती है। यहां राज्यपाल का मजाक बनाया गया है। राज्यपाल राज्य व केन्द्र के बीच का प्रतिनिधि होता है। अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर रहकर आप मुझे हमेशा काम करता हुआ देखेंगे। मैं राज्यपाल हूं और अपना संवैधानिक कार्य कर रहा हूं। मेरे सिलीगुड़ी जाने क ो लेकर मजाक बनाया गया। कैसे कोई मंत्री इतने नीचे स्तर पर गिर सकता है। मैं यह सब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर छोड़ता हूं वह अपने मंत्रियों को क्या सलाह देती हैं। मेरी यही प्रार्थना है कि सरकार व राज्यपाल के रिश्ते को समझे। किसी भी मामले की अनदेखी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वे जनता की सेवा के लिए आए हैं। कोई मुझे बताएं कि कभी भी मैंने अपनी लक्ष्मण रेखा पार की हो। मेरा काम है कि राज्य व केन्द्र सरकार के प्रति लोगो की आस्था व विश्वास कायम रखना है, जबकि यहां के मंत्री बिना सोचे समझे मेरे बारे में बयान दे रहे हैं।
यह कहा था पंचायत मंत्री ने राज्यपाल ने कहा कि राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने बिना मेरे बारे में जाने, बिना मेरी सुरक्षा समझे बयान दे दिया। वे बिना सोचे समझे कैसे बयान दे सकते हैं। मैंने कभी अपनी लक्ष्मणरेखा पार नहीं की। मंत्री को कोई समझ ही नहीं है। इस राज्य में कोई कुछ भी बयान दे रहा है। गत गुरुवार को राज्यपाल को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराने के मामले पर सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि वे अगर चाहते तो राज्य सरकार से कहकर सुरक्षा बढ़वा सकते थे। इसके लिए दिल्ली जाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। मैं लम्बे समय से विधायक हूं। ऐसा कभी नहीं देखा। जितना राज्यपाल कर रहे हैं, उनको उतनी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं थी।
लोकप्रियता अर्जित करना मेरा काम नहींं राज्यपाल ने कहा कि कई मीडिया हैं पर, ऐसा लगा कि मुझे ब्लैकआउट कर दिया गया हो। मानों मीडिया को नियंंित्रत किया गया हो। मेरी प्रतिक्रिया पर कहा गया कि सस्ती लोकप्रियता अर्जित करना मेरा काम नहीं है। मैंने सिर्फ अपनी बात रखी थी, सभी को अभिव्यक्ति का अधिकार है। मैंने दुर्गापूजा कार्निवल को एक सम्मानीय अतिथि के तौर पर देखा। बंगाल की जनता को अहसास नहीं होने दिया कि क्या हुआ है, पर मैं जानता हूं कि कैसे मुझे अंधेरे में रखा गया।