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– लेप्टोस्पायरोसिस का खौफ:
कोलकाता में इस साल बारिश के बाद चूहों की वजह से 10 दिनों के अंतराल में 7 साल के बच्चे और 26 साल की एक महिला की मौत हो गई। डॉक्टरों ने दोनों की मौत का कारण कफ टाइफायड बताया था, जिसे लेप्टोस्पायरोसिस भी कहते हैं। यह चूहों के मल-मूत्र और जूठे भोजन के सेवन से फैलता हैं। डॉक्टरों ने इसके लिए शहरवासियों को चूहों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी थी।
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– निगम मुख्यालय भी अछूता नहीं:
निगम के मुख्यालय में भी चूहों की भरमार है। इसकी वजह से निगम कर्मचारियों को जरूरी दस्तावेजों को काफी संभाल कर रखना पड़ता है। हाल ही में इसकी वजह से निगम मुख्यालय के समीप स्थित पुस्तकों के स्टोर में निगम की मासिक पत्रिकाओं को चूहों ने कुतर डाला था।
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– दालपट्टी इलाके में सबसे ज्यादा चूहे:
कोलकाता के वार्ड नम्बर 13 के दालपट्टी इलाके में चूहों ने दाल व्यवसाइयों की नाक में दम कर दिया है। उनकी मानें तो महानगर में सबसे ज्यादा चूहे उनके इलाके में हैं। निगम से कई बार इसकी शिकायत की गई है। निगम कर्मी दवाइयों का छिडक़ाव करके जाते हैं बावजूद उसके चूहे नहीं मरते। कुछ चूहों के आकार इतने बड़े हैं कि बिल्ली भी इनसे डर जाती है।
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– कम हुआ उत्पात:
कोलकाता निगम के बस्ती विभाग के एमआईसी से मूषक नियंत्रण मसले पर कहा कि निगम की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं। कांच पाउडर का इस्तेमाल कारगर साबित हो रहा है। वार्ड नम्बर 58 अंतर्गत दो पार्कों के समीप यह प्रक्रिया अपनाई जिसके बाद चूहों का उत्पात कम हुआ
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– हर जगह आफत:
निगम के एक अधिकारी ने बताया कि चूहे जलापूर्ति और निकासी व्यवस्था के लिए बिछाई गई पाइपलाइन को भी काट देते हैं। कई जगह पर लीकेज की समस्या उत्पन्न हो जाती है। पिछले दिनों माझेरहाट सेतु टूटने के बाद कई इंजीनियरों ने दावा किया कि चूहे नींव को कमजोर बना दे रहे हैं।
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– एक जोड़ी चूहे से 15 हजार:
शोधकर्ताओं के अनुसार प्रजनन के 21 दिन बाद चुहिया 10-12 बच्चों को जन्म देती है, जो तकरीबन 45 दिन में वयस्क हो जाते हैं। एक जोड़ी चूहे सालभर में करीब 15 हजार चूहों को पैदा कर सकते हैं। इसी वजह से चूहों की बढ़ती संख्या महानगरवासियों के लिए बड़ी समस्या बन गई है।