आयोग ने संकेत दिए हैं कि उनके खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन और जनप्रतिनिधित्व कानून की धाराओं में कार्रवाई हो सकती है। आयोग ने ममता के आरोपों को सिरे से नकार दिया है। बंगाल में गत 1 अप्रेल को दूसरे चरण की वोटिंग में नंदीग्राम में तनाव दिखा था। यहां बीजेपी के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी को टक्कर दे रहे हैं।
नंदीग्राम के बयाल में एक पोलिंग बूथ पर बीजेपी और टीएमसी समर्थकों में तनातनी हो गई थी। इस दौरान ममता पोलिंग बूथ के अंदर कथित रूप से दो घंटे तक फंस गई थीं। बाद में उन्हें सुरक्षा बलों ने बाहर सुरक्षित निकाला था। ममता ने चुनाव के दौरान आयोग पर कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर फेल रहने का आरोप लगाया था। ममता ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को फोन करके भी मदद मांगी थी।
इस मामले में चुनाव आयोग ने कहा है कि यह गहरे खेद का विषय है कि मुख्यमंत्री पद पर बैठे शख्स ने मीडिया नैरेटिव के जरिए मतदाताओं को कई घंटों तक गुमराह किया। यह सब उस वक्त हुआ जब चुनावी प्रक्रिया चल रही थी। इससे बुरा आचरण नहीं हो सकता था।
क्या हो सकती है सजा
आयोग ने कहा कि इस बात की अलग से जांच की जा रही है कि क्या एक अप्रेल की घटनाओं में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 131 और 123 (2) या आदर्श आचार संहिता के तहत कोई कार्रवाई हो सकती है।
जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 131 के तहत पोलिंग बूथ या उसके आसपास गलत आचरण करने पर तीन महीने की जेल या जुर्माने की सजा दी जा सकती है।