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कच्चे जूट का आसमान छूता मूल्य केंद्र के लिए चुनौती

locationकोलकाताPublished: Oct 30, 2020 09:30:21 pm

पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान अम्फान तथा असम में आई बाढ़ ने कच्चे जूट की पैदावार को बुरी तरह प्रभावित किया है…

कच्चा जूट' का आसमान छूता मूल्य बनी केंद्र की चुनौती

कच्चा जूट’ का आसमान छूता मूल्य बनी केंद्र की चुनौती

कोलकाता
कच्चे जूट के मूल्य में निरंतर हो रही वृद्धि केंद्र सरकार और जूट मिलों के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है। पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान अम्फान तथा असम में आई बाढ़ ने कच्चे जूट की पैदावार को बुरी तरह प्रभावित किया है। फलस्वरूप इस साल 55 से 60 लाख गांठ पाट का उत्पादन हुआ है जो किसान के अनुमान से काफी कम माना जा रहा है। केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की ओर से कारोबारियों और जूट मिलों के लिए पाट का भण्डारण क्षमता निर्धारित करने के बावजूद पाट के मूल्यों में लगातार हो रहे इजाफा ने वस्त्र मंत्रालय को चिंता में डाल दिया है। माना जा रहा है कि वर्तमान परिस्थिति में पाट की कीमतों में हेराफेरी और जमाखोरी के जरिए आने वाले कुछ महीनों में पाट का कृत्रिम संकट पैदा करने का प्रयास जारी है। इसे देखते हुए वस्त्र मंत्रालय के अधीन जूट आयुक्त (जेसी) कार्यालय ने पाट की जमाखोरी को लेकर अभियान चला रखा है। कच्चे पाट का मूल्य नियंत्रण को लेकर जेसी कार्यालय ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करने की तैयारी में है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान बाजार में कच्चे पाट (टीडी-5) का मूल्य 5775 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि केंद्र सरकार ने जूट वर्ष 2020-21 के लिए कच्चे पाट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,225 रु. प्रति क्विंटल तय किया है। उद्योग के सूत्रों के अनुसार जूट आयुक्त कार्यालय की ओर से निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉकिंग को रोकने के लिए पाट के विभिन्न गोदामों के नियमित निरीक्षण का आदेश देने के बावजूद, कारोबार से जुड़े कुछ बेइमान कारोबारी एवं कुछ जूट मिलें कच्चे पाट की जमाखोरी कर रहे हैं।
इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (ईजमा) के पूर्व चेयरमैन संजय काजोरिया ने बताया सरकार ने खरीफ सीजन के लिए 23 लाख गांठ जूट के बोरे का ऑर्डर दिए हैं। जबकि जूट मिलें पाट की कमी की दुहाई देते हुए केंद्र सरकार को करीब 13 लाख गांठ के जूट के बोरे सप्लाई कर सकने की बात कही है। यानी खरीफ सीजन में केंद्र सरकार की मांगों के अनुरूप बोरे की सप्लाई नहीं हो सकेगी। काजोरिया के अनुसार यदि पाट के बढ़ते मूल्यों पर शीघ्र अंकुश नहीं लगे तो जनवरी से कच्चे पाट का संकट बढ़ जाएगा। कई जूट मिलों में पाट की कमी के कारण उत्पादन ठप करना पड़ सकता है। इधर, डिप्टी जूट कमिश्नर कौशिक चक्रवर्ती ने कहा कि ” अगर जरूरत के मुताबिक बैगों की आपूर्ति नहीं की गई तो खरीफ सीजन में अनाजों की खरीद परिचालन (प्रॉक्यूरमेन्ट ऑपरेशन) को गंभीर झटका लगेगा। उल्लेखनीय है कि इस साल जून से अगस्त के बीच जूट के बराबर जूट बैगों का 9.85 लाख टन का आपूर्ति आदेश है। अक्टूबर तक, जूट बोरे की आपूर्ति में कुल 5.52 लाख गांठ बकाया है। इस संदर्भ में जूट कमिश्नर मलय चंदन चक्रवर्ती ने बताया कि 2016 में भी यही स्थिति पैदा हुई थी। जिसका मुकाबला कानूनी प्रावधानों के तहत किया गया था। कच्चा पाट के मूल्यों को स्थिर रखने तथा किसान और उद्योग के हितों के देखते हुए केंद्र सरकार ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगी।

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