अब इस राज्य में मॉब लिंचिंग की तो पछताना पड़ेगा
कोलकाताPublished: Aug 30, 2019 05:31:38 pm
The West Bengal (Prevention of Lynching) Bill, 2019 शुक्रवार को राज्य विधानसभा में पेश किया गया, जिसे पारित कर दिया गया। इसके साथ ही मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाले Rajasthan and Manipur के बाद West Bengal तीसरा राज्य बन गया है।
अब इस राज्य में मॉब लिंचिंग की तो पछताना पड़ेगा
कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के म²ेनजर अब एक और राज्य ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कड़े कदम उठाने का फैसला किया है। उन्मादी हिंसा की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए ममता सरकार ने पहल की है। पश्चिम बंगाल (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) विधेयक, 2019 शुक्रवार को राज्य विधानसभा में पेश किया गया, जिसे पारित कर दिया गया। इसके साथ ही मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाले राजस्थान और मणिपुर के बाद पश्चिम बंगाल तीसरा राज्य बन गया है। इस कानून के तहत उन लोगों को सजा देने का प्रावधान है जो मॉब लिंचिंग के लिए साजिश रचते हैं। उन लोगों को भी सजा का प्रावधान है जो लिंचिंग में शामिल होते हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधेयक पेश होने के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मॉब लिंचिंग के खिलाफ केन्द्र को कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तक केन्द्र ने इस सिलसिले में कदम नहीं उठाया है, इसलिए उनके राज्य ने पश्चिम बंगाल (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) विधेयक, 2019 राज्य विधानसभा में पारित कराया।
उम्रकैद की सजा का प्रावधान
ममता बनर्जी सरकार की ओर से विधानसभा में पारित नए विधेयक में मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त प्रावधानों का प्रस्ताव रखा गया है। नए प्रावधान के तहत भीड़ को भड़काने वालों के लिए आजीवन कारावास की अधिकतम सजा का प्रावधान किया गया है।
मणिपुर में सबसे पहले पारित
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को कानून बनाने का निर्देश दिया था। वर्ष 2018 के अंत में मणिपुर सरकार ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून पारित किया था। मणिपुर के बाद राजस्थान सरकार ने भी पांच अगस्त को मॉब लिंचिंग के खिलाफ नया कानून पारित किया है।
राजस्थान में यह है कानून
वहीं बिल पारित होने के बाद राजस्थान में अब उन्मादी हिंसा की घटना में पीडि़त की मौत पर दोषियों को आजीवन कारावास और पांच लाख रुपए तक के जुर्माने की सजा भुगतनी होगी। पीडि़त के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की सजा और 50 हजार से 3 लाख रुपए तक का जुर्माना दोषियों को भुगतना होगा। उन्मादी हिंसा में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो, हिंसा करने वाले को मिलेगी।