मालूम हो कि हिन्दू स्कूल की स्थापना 20 जनवरी 1817 को हुई थी। उस दौरान देश में ब्रिटिश शासन चल रहा था। स्कूल शिक्षा आयुक्त सौमित्र मोहन ने शुक्रवार को हिन्दू स्कूल के प्रधानाध्यापक को उनके लिखे पत्र के जवाब में कहा कि अगले अकादमिक वर्ष से बांग्ला-माध्यम के साथ-साथ अंग्रेजी-माध्यम वर्ग में पढ़ाई शुरू होगी। हिंदू स्कूल की स्थापना 1817 में स्कॉटलैंड के समाजसेवी डेविड हेयर, विद्वान एवं विचारक राधाकांत देव और जाने-माने शिक्षाविद वैद्यनाथ मुखर्जी एवं अन्य ने की थी। पत्र में लिखा है कि नए वर्ग की शुरूआत मौजूदा संसाधन के साथ की जा सकती है और अगर स्कूल प्रबंधन को लगता है कि उसे अतिरिक्त आवश्यकता है तो उसकी विस्तृत जानकारी एक सप्ताह के अंदर स्कूल शिक्षा विभाग को दे। शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी ने इससे पहले कहा था कि राज्य के कुछ सरकारी स्कूल अगले सत्र से अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा प्रदान करेंगे।
बांग्ला माध्यम होने के कारण घट रही थी छात्रों की संख्या स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने, तो कोलकाता के बांग्ला माध्यम के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या दिनोदिन घट रही है। अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव व मांग के कारण लोग सरकारी बांग्ला माध्यम स्कूलों को छोड़कर निजी अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बताया जा रहा है कि खत्म होते सरकारी स्कूलों को बचाने के लिए राज्य के शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई शुरू कराना चाहती है।
एक से एक विभूति हैं हिंदू स्कूल के छात्र हिन्दू स्कूल के छात्रों में बंगाल की एक से एक विभूतियां रही हैं। इनमें सत्येंद्रनाथ टैगोर, ज्योतिन्द्रनाथ टैगोर, तारकनाथ पालित, भक्ति विनोद ठाकुर, व्योमेश चंद्र बनर्जी, सत्येंद्रनाथ बोस, छवि विश्वास, वीरेंद्रनाथ सरकार, नितिन बोस, मेघनाद साहा, माइकल मधुसूदन दत्त, प्रसन्न कुमार टैगोर, आनंदमोहन बोस, राधारमण मित्र सहित कई ऐसे नाम हंै जिन्होंने राष्ट्र के लिए काम किया।