कोरोना के इस वैरिएंट का सबसे पहले भारत में पता चला था। स्टडी के अनुसार, कोरोना के अन्य वैरिएंट ज्यादातर घर में एक सदस्य को संक्रमित करते हैं। वहीं, डेल्टा वैरिएंट ज्यादा लोगों को संक्रमित करता है। इसी के कारण से इस बार एक ही परिवार में कई सदस्य संक्रमित हुए। देश के कई हिस्सों में डेल्टा वैरिएंट ने कोरोना की दूसरी लहर को हवा दी। इनमें दक्षिण के राज्य शामिल हैं ।
दिल्ली के कोरोना मामलों में 60 फीसदी में पाया गया खतरनाक डेल्टा
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने घर के माहौल में डेल्टा वैरिएंट की तुलना अल्फा वैरिएंट (बी.1.1.7) के साथ की। अल्फा वैरिएंट सबसे पहले ब्रिटेन में मिला था। यह भी कोरोना का खतरनाक वैरिएंट है।
पीएचई की स्टडी शुक्रवार को जारी हुई। इसमें कहा गया कि अपने अध्ययन में हमने कोरोना के घरों में फैलने का अध्ययन किया है। इसमें अल्फा वैरिएंट की तुलना डेल्टा वैरिएंट से की गई है। स्टडी से पता चला है कि डेल्टा वैरिएंट के ज्यादा तेजी से फैलने में घरेलू माहौल काफी अहम है।
वैक्सीनेशन है कारगर
अध्ययन के मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट के कारण घरों में 64 फीसदी ज्यादा कोरोना फैला। इसका समाज पर व्यापक असर पड़ा। कोरोना की दूसरी लहर भारत के लिए काफी खतरनाक साबित हुई। कोरोना के रूप बदलने से मुश्किलें और बढ़ गईं। अच्छी बात यह है कि वैक्सीनेशन इन वैरिएंट से सुरक्षा प्रदान करता है।
यहां तक संक्रमण होने पर भी बीमारी गंभीर रूप नहीं लेती है। इससे अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
क्या है बचाव
परिवार में किसी के कोरोना पॉजिटिव हो जाने पर घर में मास्क पहनें। वैक्सीनेशन के बाद कोरोना के लक्षण दिखने पर खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए। किसी सदस्य को कोरोना होने पर घर में एक साथ बैठने से बचें। कोरोना के प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें।
क्या है बचाव
परिवार में किसी के कोरोना पॉजिटिव हो जाने पर घर में मास्क पहनें। वैक्सीनेशन के बाद कोरोना के लक्षण दिखने पर खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए। किसी सदस्य को कोरोना होने पर घर में एक साथ बैठने से बचें। कोरोना के प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें।