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कोलकाता को लंदन बनाने का सपना निकला मुंगेरी लाल के हसीन सपने जैसा

locationकोलकाताPublished: Apr 15, 2019 10:55:14 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

स्मार्ट सिटी की राह हुई मुश्किल—रोड़ा बनी बड़ा बाजार की बदतर व्यवस्था— बेतरतीब यातायात व्यवस्था, फुटपाथ पर अतिक्रमण का मकडज़ाल –सिंडिकेट राज से त्रस्त नागरिक-व्यापारी—पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट
 

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कोलकाता को लंदन बनाने का सपना निकला मुंगेरी लाल के हसीन सपने जैसा

कोलकाता. . बेतरतीब यातायात व्यवस्था, सडक़ किनारे फुटपाथ पर अतिक्रमण का मकडज़ाल ऐसा कि मकड़े भी शर्म से पानी-पानी हो जाए। बद से बदतर पार्किंग व्यवस्था, न ही साफ-सफाई के इंतजाम। फिरंगी शासनकाल के बने जर्जर मकानों की दशा ऐसी कि कभी भी ध्वस्त होकर किसी बड़ी अनहोनी को अंजाम दें। यह किसी टीवी सीरियल की कहानी नहीं, बल्कि मिनी राजस्थान के नाम से मशहूर सिटी ऑफ ज्वॉय कोलकाता के बड़ा बाजार की कड़वी हकीकत है। इस हालात में स्मार्ट सिटी बनने का ख्वाब देखना मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने के समान है। एमजी रोड से लेकर सीआर एवेन्यू और बड़ाबाजार तक के विभिन्न स्थानों की पड़ताल के दौरान अनेक व्यापारियों ने शनिवार को पत्रिका के साथ बातचीत के दौरान यह खरी-खरी सुनाई। इनमें से कुछ ने नाम सहित फोटो न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2011 में जब पहली दफा बंगाल की बागडोर संभाली थी, तो उस समय उन्होंने कोलकाता को लंदन बनाने की घोषणा की थी। आज उनके बतौर मुख्यमंत्री दूसरे कार्यकाल के दौरान भी न तो उनका वादा पूरा हुआ और न ही बड़ाबाजार की दशा में कोई सुधार हुआ। कुछ ने तो यहां तक कह डाला कि किसी भी एंगल से कोलकाता भारत के अन्य मेट्रो सिटी के समान नजर नहीं आता। आज के हाईटेक युग में कोलकाता की सडक़ों पर हैंडरिक्शा में मानव को मानव ढो रहा है, जो आधुनिक सभ्यता, मानवता और किसी भी विकसित शहर के नाम पर काला धब्बा है। इंसानियत को झकझोर कर देने वाला यह दृश्य भारत तो क्या दुनिया के किसी भी शहर में नहीं मिलेगा। महानगर की सडक़ों के किनारे रोजाना खुलेआम बने गंगाकल से स्नान का नजारा शायद भी किसी शहर में दिखता हो। इसी तरह अंग्रेजों के जमाने की परिवहन सुविधा ट्राम आज महज एक शोपीस और सफेद हाथी बनकर रह गई है, क्योंकि आज की भागमभाग जीवन शैली में इसमें सफर करने वालों की तादाद बहुत कम होकर रह गई है। तमाम घाटा के बावजूद सरकार मात्र हैरिटेज के नाम पर इसका संचालन कर रही है।
——-व्यापारियों की जुबानी–वादे तो होते ही हैं जुमले

कोलकाता को जहां तक स्मार्ट सिटी बनाने का सवाल है, तो नेताओं के वादों का क्या? वादे तो होते ही हैं जुमले। जनता को गुमराह करने के लिए। ९५ प्रतिशत व्यापारी अतिक्रमण से त्रस्त हैं। सबसे पहले तो यहां की आधारभूत संरचनाओं और विकास, साफ-सफाई पर सरकार ध्यान दे फिर स्मार्ट सिटी की बात करे।—अजय रंगा, व्यापारी प्रवासी राजस्थानी.
—————लाइट लगी, पर साफ-सफाई नदारद

कोलकाता में काम तो कुछ हुआ, पर जैसा होना चाहिए वैसा नहीं हुआ जो दुखद है। खासकर बड़ाबाजार की हालत जस की तस है। अतिक्रमण बरकार है, लाइट लगी, पर साफ-सफाई नदारद। भला ऐसे हाल में स्मार्ट सिटी कैसे और कब होगा? यह विचारना होगा हमारे राजनेताओं को। कोई भी सरकार आए लेकिन अतिक्रमण ऐसे ही रहेगा।—दीपक सिंह, व्यापारी
—————सबसे बड़ी समस्या अतिक्रमण

सबसे बड़ी समस्या अतिक्रमण की है। लगता ही नहीं कि रोड के किनारे फुटपाथ है कि फुटपाथ पर रोड। कोई भी दल हो, या कोई जनप्रतिनिधि सभी इस समस्या से बेखबर हैं। किसी को आम नागरिकों की तकलीफों से कोई लेना-देना नहीं।–हीरालाल यादव, व्यापारी
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