उन्होंने बताया कि 17 जून सुबह 4 बजे से होगी , फिर दर्शन आरती और भगवन जगन्नाथ की मधुर लीलाओं का पाठ किया जाएगा। इसके बाद 8 बजे भक्तिवेदांत नेशनल स्कूल के बच्चे जयदेव गोस्वामी की गीतगोविन्दम पर नृत्य प्रस्तुत करेंगे। उसके बाद जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा के विग्रहों को बारी-बारी से ढोल करतल की गूँज के मध्य स्नान भेदी पर लाया जाएगा। मन्त्रों उच्चारण करते हुए धीरे धीरे विग्रहों को गंगा जल, शहद, दूध , दही , नारियल पानी और 30 प्रकार के फलों के जूस से 3 घंटे तक स्नान करवाया जाएगाा। इस मौके पर अपने इष्ट देव श्री जगन्नाथ के दर्शन के लिए बड़ी तादाद में लोग खड़े रहते हैं। स्नान के बाद विग्रहों को हाथी वेश में सजाया जाएगा और 108 प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन 2000 मिट्टी के बर्तनों में भोग लगाया जाएगा। दोपहर सभी भक्तों में इस महाप्रसाद का वितरण होगा। मालूम हो कि इस लीला के बाद भगवान बीमार पड़ जाएंगे और उनका द्वार बन्द कर दिया जाएगा। पंद्रह दिनों के बाद रथ यात्रा के दिन फिर भक्तों को जगन्नाथ के दिव्य दर्शन प्राप्त होते हैं।