उम्मीदवार चयन को लेकर मतभेद पड़ा भारी
मदारीहाट (एसटी) सीट, जो पहले भाजपा के पास थी, पर इस बार टीएमसी ने महत्वपूर्ण जीत दर्ज की। यह जीत टीएमसी के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि यह पहली बार है जब पार्टी ने चाय बागान बेल्ट की एक प्रमुख सीट मदारीहाट पर कब्जा कर लिया है। उम्मीदवार के चयन को लेकर भाजपा के अलीपुरद्वार सांसद मनोज तिग्गा और पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉन बारला के बीच मतभेद के कारण पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ी। बीजेपी के 37.67 फीसदी की तुलना में टीएमसी का वोट शेयर 53.43 फीसदी तक पहुंच गया, जो 2021 के समान परिणाम को दर्शाता है, जब इस आदिवासी बहुल सीट पर टीएमसी के पास 50.72 फीसदी और बीजेपी के पास 40.51 फीसदी था।
सागरदिघी छोडक़र हर उपचुनाव में जीत
2021 के विधानसभा चुनावों के बाद से, टीएमसी ने मार्च 2023 में सागरदिघी उपचुनाव को छोडक़र हर उपचुनाव में जीत हासिल की है। सागरदिघी में कांग्रेस के एक उम्मीदवार ने जीता जो बाद में टीएमसी में शामिल हो गया। आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर लंबे समय से जारी विरोध प्रदर्शन के बावजूद पश्चिम बंगाल पर तृणमूल कांग्रेस की पकड़ मजबूत दिखाई दे रही है। वर्ष 2021 के बाद पहली बार वाम दलों के साथ गठबंधन के बिना चुनाव लड़ी कांग्रेस की सभी छह निर्वाचन क्षेत्रों में जमानत जब्त हो गई।
करना पड़ा तीसरे स्थान पर संतोष
पश्चिम बंगाल की हारोआ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार एसके रबीउल इस्लाम ने शनिवार को बड़ी जीत हासिल की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एआईएसएफ के पियारुल इस्लाम को 1,31,388 मतों से हराया। निर्वाचन आयोग ने यह जानकारी दी। पियारुल इस्लाम को महज 25684 वोट मिले। भाजपा को यहां तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। भाजपा के उम्मीदवार बिमल दास को 13,570 वोट मिले।
आगामी विधानसभा चुनावों में चलेगा पता: सुकांत
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने नतीजों को अधिक तवज्जो नहीं दी। उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजे विश्वसनीय संकेतक नहीं हो सकते। लोग टीएमसी के साथ हैं या उनके खिलाफ, यह आगामी विधानसभा चुनावों में दिखेगा। हारोआ में भाजपा तीसरे स्थान पर रही और अपनी जमानत बचाने में असफल रही, जहां 70 प्रतिशत से अधिक मतदाता अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। हरोआ को लेकर पार्टी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि अल्पसंख्यक भाजपा को वोट नहीं देते।